User:Arun purohit
"आज नही चेते तो कल स्थिती सुधार करने लायक भी नही होगी" जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ ,प्रकृति से छेड़छाड़ और उससे प्राप्त होने वाले नतीजो की. आज जहाँ देश के कुछ इलाकों में बारिश के मौसम में जितनी वर्षा होनी चाहिए थी उतनी नही हो पाई है ,वही देश के अन्य भागो में बाढ़ कहर ढहा रही है । कही बिजली की कमी है तो कही मूलभूत सुविधाओं की । आज से दस बरस पहले क्या हमने कभी सोचा था की पानी भी खरीद कर पीना पड़ेगा और अगर यही हालत रहे तो कुछ बरसो में ओक्सिजन भी खरीद कर साँस लेना होगा । न केवल हमारे देश में बल्कि पूरे विश्व में सर्वत्र महंगाई और प्रदुषण व्याप्त हो चुका है . माना इन सब चीजो को सुधारना पूरी तरह से न सही ,लेकिन आंशिक तोर से तो हमारे हाथ में है .आज सरकारी प्रयासों से अधिक जरूरत है कि आम आदमी चेते और अपने स्तर पर प्रयास करे । निम्नाकित सुझावों को अपना कर कुछ हद तक हम सुधर कर सकते है :- 1-अपने घर के आँगन को कच्चा रखे ताकि वर्षा जल अवशोषित हो। वर्षा जल को पाइप द्वारा जमीन में भिजवाए . 2-अधिक से अधिक पेड़ पोधे लगाये । बच्चों के जन्मदिन पर उनके हाथ से पोधे लगाये और गिफ्ट में पेड़ पोधे देने को प्रोत्साहित करें 3-कार्यालयओं में अधिकतर लोगो का नजरिया होता है कि बिजली पंखे कूलर चल रहे हो तो चलने दो , हमें बिल थोड़े ही भरना है ,लेकिन वे ये नही सोचते कि बिजली कि कमी भी तो हमारा देश झेल रहा है । अतः इस नजरिये को बदलने का प्रयास करे और ख़ुद पहल करें । 4-अपने नगर की झीलों को ,जलाशयों को अशुद्ध होने से बचाए.उसमे विसर्जन सामग्री ,प्लास्टिक के पेक्केट आदि न डालें । 5-अक्सर मैं देखता हूँ, विशेषकर महानगरों में , गृहणियां सब्जी फलो के छिलके इत्यादी अन्य कचरे के साथ प्लास्टिक बैग में डाल कर फिकवा देती है जिससे कि इन्हे खाने वाले जानवर मर जातें हैं । इसलिए ऐसा न करे ,सब्जी फलो के छिलके इत्यादी अलग करके जानवरों को खाने के लिए डाले । हो सके तो गर्मी के दिनों में पक्षियों के लिए खिड़की में पानी का कटोरा भर कर रखे तथा जानवरों के लिए घर के बहार पानी का मटका इत्यादी रखे । 6-आसपास के छोटे मोटे कामो के लिए या तो पैदल चलें या साईकिल का उपयोग करे इससे पेट्रोल कि बचत के साथ साथ कुछ व्यायाम भी होगा । 7-हर कालोनी में सार्वजनिक उद्यानों की स्थापना करे तथा वह की सफाई तथा पोधों को जल सिंचन की और ध्यान दे । अधिक से अधिक नीम और तुलसी के पोधे लगायें। ये प्रदुषण कम करने में सहायक है. मेरा मानना है कि इतना तो हर कोई आसानी से कर सकता है। और हमें करना ही होगा, क्योंकि
- पृथ्वी_हमारी_नहीं_हम पृथ्वी_के_हैं ।
'The earth does not belong to us. We belong to the earth.'