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User:गोविन्द सिँह लूलवा खास

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गोविन्द सिँह लूलवा खास Full Name: Govind Singh

       आरती

पिचम धरा सूं म्हारा पीर जी पधारिया आरती री वेळा पधारो अजमाल रा, दर्शन री बलिहारी दूर दूर सूं आवे जातरू, निमण करे नर नारी

ओ पिचम धरा सूं म्हारा, पीर जी पधारिया घर अजमल अवतार लियो लांछा ने सुगणा करे हर री आरती अरे हरजी भाटी उबा चँवर ढोळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

पिचम धरा सूं म्हारा, पीर जी पधारिया घर अजमल अवतार लियो अरे लांछा ने सुगणा करे हर री आरती हरजी भाटी उबा चँवर ढुळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

अरे घी री तो मिठाई बाबा, चडे थारे चुरमो ... (२) धुंपा री मेहेंकार उडे , हे धुंपा री मेहेंकार उडे लांछा ने सुगणा करे हर री आरती हरजी भाटी उबा चँवर ढुळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

अरे गंगा रे जमुना, बेहवे सरस्वती ... (२) रामदेवजी बाबो स्नान करे ... (२) लांछा ने सुगणा करे हर री आरती ए हरजी भाटी चँवर ढुळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

अरे दूरा रे देशा रा, आवे थारे जातरू ... (२) अरे बापजी री दरगाह आगे निमण करे ... (२) लांछा ने सुगणा करे हर री आरती ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

ढोल नगाडा धणी रे नौबट बाजे ... (२) अरे झालर री रे झणकार पड़े ... (२) अरे लांछा ने सुगणा बाई करे हर री आरती ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

ओ खम्मा खम्मा खम्मा रे, कँवर अजमाल रा घर अजमल अवतार लियो लांछा ने सुगणा करे हर री आरती अरे हरजी भाटी उबा चँवर ढोळे लांछा ने सुगणा करे हर री आरती

हो हो हरी चरणों में भाटी हरजी बोले ... (२) अरे नव खंडों में निशाण घुरें नव रे खण्डाँ में निशान घूरे अरे हरी चरणों में बहती हरजी बोले नव रे खान्डाँ में निशान घूरे लांछा ने सुगणा बाई करे हर री आरती ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती ... (२)

आन्धळिया ने आँख दिनी, पान्गळिया ने पाँव जी ... (२) हे कोडिया रो कळंक झडायो जी लांछा ने सुगणा बाई करे हर री आरती ओ हरजी भाटी चँवर ढुळे वैकुंठा में बाबा होवे थारी आरती

ओ वारी वारी वारी रे कँवर तपधारी ... (२)




                                                                           कुछ कुछ होता है


इस फिल्म के द्वारा करण जोहर ने अपने निर्देशन करियर की शुरआत की और शाहरुख़ और काजोल की सफल जोड़ी को एक बार फिर दर्शकों के सामने रखा| लंबे समय से एक हिट की तलाश में चल रहे यश जोहर बॅनर को और खंडाला गर्ल रानी मुख़र्जी को इस फिल्म से बहुत उमीदें थी|मित्र आदित्या चोप्रा की तरह करन जोहर ने भी करियर की शुरआत एक प्रेम कथा से की|

फिल्म में रानी मुख़र्जी और सलमान खान ने अतिथि कलाकार के रूप में कम किया|

राहुल(शाहरुख़ खान) और अंजलि(काजोल देवगन) एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं| राहुल एक खुशदिल और मस्तमौला लड़का होता है और अंजलि एक लड़कों जैसी लगने वाली और उन्ही के जैसे शौक रखने वाली लड़की होती है| अंजलि और राहुल दोनों बहुत अच्छे दोस्त होते हैं और पूरे कॉलेज की जान होते है| जहाँ राहुल कॉलेज की लड़कियों के पीछे भागता है वहीं अंजलि को राहुल की इस तरह की हरकते बेहद नापसंद होती है| पर राहुल को अपने ही कॉलेज मे ऑक्स्फर्ड से पड़ने आई प्रिन्सिपल की बेटी टीना(रानी मुख़र्जी) से प्यार हो जाता है| राहुल को टीना के साथ देखकर अंजलि को जलन होने लगती है और तब उसे एहसास होता है की अंजलि की राहुल से दोस्ती दोस्ती नहीं प्यार है| टीना भी राहुल से प्यार करने लगती है लेकिन इसी बीच वो अंजलि को देखकर जान जाती है की वो भी राहुल से प्यार करती है| यहाँ कहानी में प्रेम त्रिकोण बनता है लेकिन राहुल और टीना के लिए अंजलि कॉलेज छोड़ देती है|

राहुल और टीना शादी कर लेते हैं और उनकी एक बेटी होती है जिसका नाम वे अंजलि रखते हैं| टीना मरने से पहले अपने बेटी के लिए उसके हर जन्मदिन पर एक चिट्ठी तौहफे मे छोड़ कर जाती है| चिट्ठियो मे उसकी, राहुल और अंजलि के कॉलेज की दास्तान बयान होती है| अंजलि को 8 साल की होने पर पता लगता है कि कॉलेज में अंजलि(काजोल देवगन) उसके पापा से कितना प्यार करती थी और उसकी मरती हुई माँ का एक ही ख्वाब था -राहुल और अंजलि को फिर से मिलना| वो कसम खाती है की वो अपने पापा को अंजलि से मिलाएगी और वो अंजलि को ढूँढना शुरू कर देती है| उसे अंजलि तो मिल जाती है लेकिन तब तक अंजलि की मँगनी अमन(सलमान खान ) से हो चुकी होती है|

क्या छोटी अंजलि अपने पापा को उनकी पुरानी कॉलेज की दोस्त से मिला पाती है और मँगनी होने के बाद भी क्या अंजलि और राहुल मिल पाते हैं यह फिल्म का चरम है|

फिल्म मनोरंजक है लेकिन कई जगह पर कहानी को काट कर छोटा किया जा सकता है| मनीष मल्होत्रा ने कलाकारों के लिए बहुत अच्छे कपड़े डिज़ाइन किए है और फिल्म के छायांकन की जितनी तारीफ की जाए कम है| कारण जोहर ने अपनी पहली फिल्म में अच्छा निर्देशन किया है| शाहरुख हमेशा की तरह अभिनय में शीर्ष पर रहे है और ये फिल्म भी उनकी सबसे सफलतम फिल्मों मे से एक गिनी जाती है| साना सईद ने छोटी अंजलि का किरदार बेहतरीन तरीके से निभाया है| रानी मुख़र्जी का किरदार छोटा है पर बाज़ी मारी काजोल देवगन ने| दर्शकों को शाहरुख़ खान और काजोल देवगन की जोड़ी बेहद पसंद आई और यही जोड़ी इस फिल्म की जान है| पर्दे पर काफ़ी समय बाद शाहरुख़ खान और सलमान खान को साथ देखना अच्छा लगा| फिल्म की कहानी कुछ कुछ अँग्रेज़ी फिल्म "मैय बेस्ट फ़्रेंड'स वेड्डिंग की याद दिलाती है"| जतिन ललित ने बहुत अच्छा संगीत दिया है और फिल्म के गीत लंबे समय तक श्रोताओं की ज़ुबान पर राज करेंगे| कुल मिलाकर यह फिल्म अच्छी और मनोरंजक है और देश विदेश में इसे बेहद पसंद किया गया है|