User:Kuldeepcic
राजीव रंजन गिरि
[edit]राजीव रंजन गिरि हिंदी साहित्य के एक प्रमुख आलोचक , गांधी - दर्शन, भारतीय संस्कृति , भारतीय ज्ञान परम्परा, लोक - ज्ञान के व्याख्याकार हैं।[1][2][3][4][5]
आरम्भिक जीवन
[edit]डॉक्टर राजीव रंजन गिरि का जन्म 19 दिसम्बर 1978 पूर्वी चंपारण ( बिहार ) जिला के एक गांव भादा अरेराज में हुआ। इनकी आरंभिक पढ़ाई गांव के स्कूल से शुरू हुयी और मैट्रिकुलेशन जिला स्कूल मोतिहारी से हुआ। मुंशी सिंह कॉलेज मोतिहारी से बी . ए. ( इतिहास ) ऑनर्स करने के बाद, 2003 में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से हिन्दी साहित्य में एम. ए. किया, इसमें उन्होंने में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। 2005 में भारतीय भाषा केंद्र, जे . एन . यू . नई दिल्ली से प्रो. वीर भारत तलवार के निर्देशन में " खड़ी बोली पद्य का आंदोलन और अयोध्या प्रसाद खत्री " विषय में एम . फिल. किया। 2011 में दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो . सुधीश पचौरी के निर्देशन में "स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी भाषा के विकास और व्याप्ति की समस्याएं" विषय पर पीएच. डी. ख़त्म किया। 2010 से 2012 सेंट स्टीफेंस कॉलेज , दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर के रुप में अध्यापन किया।
लेखिकीय उपलब्धि
[edit]2009 में पटना से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका "वर्त्तमान संदर्भ " के "स्त्री मुक्ति : यथार्थ और यूटोपिया " विशेषांक का अतिथि सम्पादन के तौर पर काम किया ।
2012 से 2015 गांधी स्मृति दर्शन समिति ( स्वायत्त निकाय, संस्कृति मंत्रालय , भारत सरकार ) की मासिक पत्रिका " अंतिम जन " का संपादन ।
2012 में हिंदी - अंग्रेजी जर्नल "अनासक्ति दर्शन " के भूदान विशेषांक का संपादन।
2010 से 2013 तक साहित्यिक मासिक पत्रिका "पाखी" में " अदबी हयात " स्तम्भ लेखन।
2016 से 2019 तक नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली की पत्रिका " पुस्तक संस्कृति " के सलाहकार ।
आलोचनात्मक लेखन के लिए विद्यापति सम्मान से सम्मानित।[6] " संवेद " साहित्यिक पत्रिका के पचास से अधिक अंकों का सह सम्पादन किया। स्त्री का समय और सच के उद्घोष के साथ छपने वाली पत्रिका "स्त्री काल" के प्रवेशांक से सम्पादक मंडल के सदस्य रहे। [7]
"अभिधा " साहित्यिक पत्रिका के सम्पादक मंडल के सदस्य रहे।
डी डी किसान के लिए "गांधी , शास्त्री और किसान" का स्क्रिप्ट लिखा।
संक्षिप्त परिचय
[edit]इनकी पुस्तक " परस्पर : भाषा - साहित्य - आंदोलन " में उन्नीसवीं सदी में कविता की भाषा के बदलाव पर ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में विचार किया गया है। ब्रजभाषा उस समय की कविता के लिए " पावर लैंग्वेज " थी , बदलती परिस्थितियों में इसका स्थान बोली मानी जाने वाली खड़ी बोली ने ले लिया। इन्होंने अपने शोध के जरिए अयोध्या प्रसाद खत्री के ऐतिहासिक अवदान को सामने लाने का काम किया है। इस किताब के निबंध " राष्ट्र - निर्माण , संविधान सभा और भाषा विमर्श " में भारतीय संविधान के निर्माताओं द्वारा "राष्ट्रभाषा" के स्वप्न को "राजभाषा" द्वारा विस्थापित करने की मजबूरियों, गोलबंदियों और भाषा संबंधी उनकी कल्पनाओं का विश्लेषण किया गया है। एक दौर में, हिंदी में लघु पत्रिका आंदोलन का बोलबाला था। अलग - अलग शहरों, कस्बों से कम खर्चे में निकलने वाली साहित्यिक पत्रिकाओं ने उस दौर की ताकतवर माने जाने वाली पत्रिकाओं की साहित्यिक हैसियत को चुनौती दी थी और अपने को केंद्रीय साहित्यिक अभिव्यक्ति के तौर पर स्थापित किया था। इस लघु पत्रिका आंदोलन की शक्ति और सीमा का इनका अध्ययन - विश्लेषण इस आंदोलन की शिनाख्त कराने के लिए जाना जाता है।[8][9]
अपनी आलोचना पुस्तक " अथ (साहित्य : पाठ और प्रसंग " में इन्होंने प्रेमचंद , भोजपुरी नवजागरण के अग्रदूत भिखारी ठाकुर, भक्ति आंदोलन के अवसान पर नए नजरिए से विचार किया है। इसमें इन्होंने अस्मितावादी साहित्य और आंदोलन व्याख्या करते हुए इसकी जरूरत को रेखांकित करते हुए भी इनमें अंतर्निहित अतिचार और लोकतंत्र विरोधी भावनाओं के लिए इनकी पर्याप्त खबर भी ली है। गांधी - दर्शन के मूल्यों को साहित्य के विश्लेषण का एक मानक प्रस्तावित करने के लिए इनका लेखन ध्यान खींचता है।[10][11][12]
संपादन :
[edit]1.गांधीवाद रहे न रहे (अनन्य प्रकाशन, नई दिल्ली )
2.पुरुषार्थ , त्याग और स्वराज : महात्मा गांधी के विचारों से युवजनों के लिए चयन[13] ( गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, राजघाट द्वारा प्रकाशित)
3.स्त्री - मुक्ति : यथार्थ और यूटोपिया ( अनुज्ञा बुक्स, नई दिल्ली )
4. स्वराज - स्वप्न ( प्रेमचंद की कहानियों का पांच खंडों में चयन ) नई किताब प्रकाशन , नई दिल्ली
5. प्रेमचंद का संपूर्ण बाल साहित्य ( अनन्य प्रकाशन, नई दिल्ली )
संदर्भ
[edit]- ^ "राजीव रंजन गिरि :: :: :: लघु-पत्रिका आंदोलन : संरचना और सरोकार :: शोध". www.hindisamay.com. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "राजीव रंजन गिरि :: :: :: हीरा भोजपुरी का हेराया बाजार में :: आलोचना". www.hindisamay.com. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "हिंदू और मुस्लिम दोनों क्यों मानते थे गांधी को दुश्मन?". BBC News हिंदी (in Hindi). 2018-01-29. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "समालोचन". unmelodiousness59.rssing.com. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "गांधी की चेतावनियां और नया भारत प्रस्तुति : सुशील कान्ति". वागर्थ. 2022-01-07. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "आज पुस्तक मेला में कमान संभालेगी महिला ब्रिगेड". m.jagran.com (in Hindi). Retrieved 2022-04-05.
- ^ "राजीव रंजन गिरि :: :: :: कविता में स्त्री :: आलोचना". www.hindisamay.com. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "परिप्रेक्ष्य : आओ, हिंदी- हिंदी खेलें : राजीव रंजन गिरि". समालोचन. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "पुस्तकायन : आलोचकीय उड़ान की अकुलाहट". Jansatta (in Hindi). Retrieved 2022-04-05.
- ^ "सबद - भेद : सूत्रधार : राजीव रंजन गिरि". समालोचन. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "भिखारी ठाकुर की कला : राजीव रंजन गिरि". hindialochana.blogspot.com. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "अथ (साहित्य: पाठ और प्रसंग) | स्त्रीकाल". streekaal.com. Retrieved 2022-04-05.
- ^ "परख : पुरुषार्थ, त्याग और स्वराज : मो. क. गाँधी". समालोचन. Retrieved 2022-04-05.