User:MKar/List/Items without Instance of-Sa
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# | Wikidata | Stmnts | Wikis | label |
---|---|---|---|---|
1 | Q7601250 | 0 | 1 | 1.2 योगश्चित्तवृत्ति निरोधः… |
2 | Q7601299 | 0 | 1 | 1.3 तदा द्रष्टुः स्वरूपेवस्थानम्… |
3 | Q7601334 | 0 | 1 | संसद भवन |
4 | Q7601355 | 0 | 1 | 1.5 वृत्तयः पंचतय्यः क्लिष्टाक्लिष्टाः … |
5 | Q7601386 | 0 | 1 | 1.6 प्रमाणविपर्ययविकल्पनिद्रास्मृतयः… |
6 | Q7601408 | 0 | 1 | 1.7 प्रत्यक्षानुमानागमाः प्रमाणानि… |
7 | Q7601449 | 0 | 1 | 2.33 वितर्क हिंसादयः कृतकारितानुमोदिता ..... |
8 | Q7601855 | 0 | 1 | Spokensanskrit.de |
9 | Q7601951 | 0 | 1 | अकीर्तिं चापि भूतानि... |
10 | Q7602156 | 0 | 1 | अक्षरं ब्रह्म परमं... |
11 | Q7602247 | 0 | 1 | अक्षराणामकारोऽस्मि... |
12 | Q7602420 | 0 | 1 | अग्निर्ज्योतिरहः शुक्लः... |
13 | Q7602689 | 0 | 1 | अचार्यत्रयम् |
14 | Q7602716 | 0 | 1 | अच्चकन्याजलपातः |
15 | Q7602759 | 0 | 1 | अजन्त साधारणशब्दाः |
16 | Q7602784 | 0 | 1 | अजपामञ्जरी |
17 | Q7602897 | 0 | 1 | अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च... |
18 | Q7602913 | 0 | 1 | अज्ञातवासः |
19 | Q7603173 | 0 | 1 | अणुभाष्यम् |
20 | Q7603348 | 0 | 1 | अत्र तत्र |
21 | Q7603428 | 0 | 1 | अथ (अनन्तरम्) |
22 | Q7603521 | 0 | 1 | अथ केन प्रयुक्तोऽयं... |
23 | Q7603555 | 0 | 1 | अथ चित्तं समाधातुं... |
24 | Q7603596 | 0 | 1 | अथ चेत्त्वमिमं धर्म्यं... |
25 | Q7603632 | 0 | 1 | अथ चैनं नित्यजातं... |
26 | Q7603731 | 0 | 1 | अथवा बहुनैतेन... |
27 | Q7603834 | 0 | 1 | अथैतदप्यशक्तोऽसि... |
28 | Q7603952 | 0 | 1 | अदृष्टपूर्वं हृषितोऽस्मि... |
29 | Q7603989 | 0 | 1 | अदेशकाले यद्दानम्... |
30 | Q7604029 | 0 | 1 | अद्य धारा निराधारा… निरालम्बा सरस्वती… |
31 | Q7604044 | 0 | 1 | अद्वेष्टा सर्वभूतानां... |
32 | Q7604115 | 0 | 1 | अद्वैतवेदान्तस्य ग्रन्थाः |
33 | Q7604158 | 0 | 1 | अधर्मं धर्ममिति या... |
34 | Q10995204 | 0 | 1 | तुळसीदासजयन्ती |
35 | Q12418099 | 1 | 1 | कपोतरोमन |
36 | Q12453656 | 0 | 1 | व्योमन् |
37 | Q16037056 | 0 | 1 | १६.१८ अहंकारं बलं |
38 | Q16037060 | 0 | 1 | अभयं सत्त्वसंशुद्धिः... |
39 | Q16037062 | 0 | 1 | इदं शरीरं कौन्तेय... |
40 | Q16037065 | 0 | 1 | एवं सततयुक्ता ये... |
41 | Q16037069 | 0 | 1 | परं भूयः प्रवक्ष्यामि... |
42 | Q16037070 | 0 | 1 | भूय एव महाबाहो... |
43 | Q16037071 | 0 | 1 | मदनुग्रहाय परमं... |
44 | Q16037073 | 0 | 1 | ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य... |
45 | Q16037076 | 0 | 1 | संन्यासस्य महाबाहो... |
46 | Q16037079 | 0 | 1 | अधियज्ञः कथं कोऽत्र... |
47 | Q16037081 | 0 | 1 | अहिंसा सत्यमक्रोधः... |
48 | Q16037083 | 0 | 1 | इदं ज्ञानमुपाश्रित्य... |
49 | Q16037087 | 0 | 1 | काम्यानां कर्मणां न्यासं... |
50 | Q16037091 | 0 | 1 | क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि... |
51 | Q16037096 | 0 | 1 | त्रिविधा भवति श्रद्धा... |
52 | Q16037097 | 0 | 1 | न मे विदुः सुरगणाः... |
53 | Q16037099 | 0 | 1 | भवाप्ययौ हि भूतानां... |
54 | Q16037101 | 0 | 1 | मय्यावेश्य मनो ये मां... |
55 | Q16037107 | 0 | 1 | व्यामिश्रेणेव वाक्येन... |
56 | Q16037115 | 0 | 1 | एवमेतद्यथात्थ त्वम्... |
57 | Q16037121 | 0 | 1 | तत्क्षेत्रं यच्च यादृक्च... |
58 | Q16037123 | 0 | 1 | तेजः क्षमा धृतिः शौचम्... |
59 | Q16037125 | 0 | 1 | त्याज्यं दोषवदित्येके... |
60 | Q16037133 | 0 | 1 | मम योनिर्महद्ब्रह्म... |
61 | Q16037135 | 0 | 1 | ये त्वक्षरमनिर्देश्यम्... |
62 | Q16037136 | 0 | 1 | अब्बेजलपातः |
63 | Q16037137 | 0 | 1 | यो मामजमनादिं च... |
64 | Q16037139 | 0 | 1 | लोकेऽस्मिन् द्विविधा निष्ठा... |
65 | Q16037143 | 0 | 1 | सत्त्वानुरूपा सर्वस्य... |
66 | Q16037145 | 0 | 1 | अधिभूतं क्षरो भावः... |
67 | Q16037149 | 0 | 1 | ऋषिभिर्बहुधा गीतं... |
68 | Q16037155 | 0 | 1 | दम्भो दर्पोऽभिमानश्च... |
69 | Q16037156 | 0 | 1 | अर्जुनविजयः |
70 | Q16037157 | 0 | 1 | न कर्मणामनारम्भात्... |
71 | Q16037158 | 0 | 1 | अलङ्कारकौस्तुभः |
72 | Q16037159 | 0 | 1 | निश्चयं शृणु मे तत्र... |
73 | Q16037160 | 0 | 1 | बुद्धिर्ज्ञानमसम्मोहः... |
74 | Q16037164 | 0 | 1 | अलङ्कारमञ्जरी |
75 | Q16037165 | 0 | 1 | मन्यसे यदि तच्छक्यं... |
76 | Q16037166 | 0 | 1 | अलङ्कारवार्तिकम् |
77 | Q16037167 | 0 | 1 | अलङ्कारशेखरः |
78 | Q16037169 | 0 | 1 | यजन्ते सात्त्विका देवान्... |
79 | Q16037170 | 0 | 1 | अलङ्कारसर्वस्वः |
80 | Q16037172 | 0 | 1 | अलङ्कारसर्वस्वम् |
81 | Q16037173 | 0 | 1 | सन्नियम्येन्द्रियग्रामं... |
82 | Q16037174 | 0 | 1 | अलङ्कारानुसारिणी |
83 | Q16037175 | 0 | 1 | सर्वयोनिषु कौन्तेय... |
84 | Q16037179 | 0 | 1 | अन्तकाले च मामेव... |
85 | Q16037183 | 0 | 1 | अशास्त्रविहितं घोरं... |
86 | Q16037185 | 0 | 1 | अहिंसा समता तुष्टिः... |
87 | Q16037189 | 0 | 1 | क्लेशोऽधिकतरस्तेषाम्... |
88 | Q16037193 | 0 | 1 | दैवी सम्पद्विमोक्षाय... |
89 | Q16037199 | 0 | 1 | न हि कश्चित्क्षणमपि... |
90 | Q16037202 | 0 | 1 | असफ़विलासः |
91 | Q16037203 | 0 | 1 | पश्य मे पार्थ रूपाणि... |
92 | Q16037207 | 0 | 1 | महाभूतान्यहङ्कारो... |
93 | Q16037209 | 0 | 1 | यज्ञदानतपःकर्म... |
94 | Q16037213 | 0 | 1 | सत्त्वं रजस्तम इति... |
95 | Q16037215 | 0 | 1 | इच्छा द्वेषः सुखं दुःखं... |
96 | Q16037216 | 0 | 1 | आनंद कर्वे |
97 | Q16037219 | 0 | 1 | एतान्यपि तु कर्माणि... |
98 | Q16037221 | 0 | 1 | कर्मेन्द्रियाणि संयम्य... |
99 | Q16037223 | 0 | 1 | आमृतलहरी |
100 | Q16037224 | 0 | 1 | कर्शयन्तः शरीरस्थं... |
101 | Q16037226 | 0 | 1 | द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन्... |
102 | Q16037230 | 0 | 1 | पश्यादित्यान्वसून् रुद्रान्... |
103 | Q16037234 | 0 | 1 | महर्षयः सप्त पूर्वे... |
104 | Q16037236 | 0 | 1 | यं यं वापि स्मरन्भावं... |
105 | Q16037240 | 0 | 1 | ये तु सर्वाणि कर्माणि... |
106 | Q16037242 | 0 | 1 | संन्यासस्तु महाबाहो... |
107 | Q16037244 | 0 | 1 | अमानित्वमदम्भित्वम्... |
108 | Q16037246 | 0 | 1 | आहारस्त्वपि सर्वस्य... |
109 | Q16037248 | 0 | 1 | इहैकस्थं जगत्कृत्स्नं... |
110 | Q16037249 | 0 | 1 | एतां विभूतिं योगं च... |
111 | Q16037252 | 0 | 1 | इकबाल |
112 | Q16037255 | 0 | 1 | तस्मात्सर्वेषु कालेषु... |
113 | Q16037257 | 0 | 1 | तेषामहं समुद्धर्ता... |
114 | Q16037259 | 0 | 1 | नियतस्य तु संन्यासः... |
115 | Q16037261 | 0 | 1 | प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च... |
116 | Q16037270 | 0 | 1 | यस्त्विन्द्रियाणि मनसा... |
117 | Q16037272 | 0 | 1 | योगयुक्तो विशुद्धात्मा... |
118 | Q16037274 | 0 | 1 | रजो रागात्मकं विद्धि... |
119 | Q16037278 | 0 | 1 | अभ्यासयोगयुक्तेन... |
120 | Q16037280 | 0 | 1 | असत्यमप्रतिष्ठं ते... |
121 | Q16037282 | 0 | 1 | अहं सर्वस्य प्रभवो... |
122 | Q16037284 | 0 | 1 | आयुःसत्त्वबलारोग्य... |
123 | Q16037287 | 0 | 1 | इन्द्रियार्थेषु वैराग्यम्... |
124 | Q16037288 | 0 | 1 | उच्चैः |
125 | Q16037290 | 1 | 1 | atop or up |
126 | Q16037291 | 0 | 1 | तमस्त्वज्ञानजं विद्धि... |
127 | Q16037293 | 0 | 1 | दुःखमित्येव यत्कर्म... |
128 | Q16037295 | 0 | 1 | न तु मां शक्यसे द्रष्टुम्... |
129 | Q16037299 | 0 | 1 | नियतं कुरु कर्म त्वं... |
130 | Q16037300 | 0 | 1 | Utkalikamanjari |
131 | Q16037301 | 0 | 1 | नैव किञ्चित्करोमीति... |
132 | Q16037307 | 0 | 1 | मय्येव मन आधत्स्व... |
133 | Q16037312 | 0 | 1 | असक्तिरनभिष्वङ्गः... |
134 | Q16037314 | 0 | 1 | एतां दृष्टिमवष्टभ्य... |
135 | Q16037316 | 0 | 1 | एवमुक्त्वा ततो राजन्... |
136 | Q16037317 | 0 | 1 | उदासीनसंस्कृतविद्यालयः |
137 | Q16037320 | 0 | 1 | कट्वम्ललवणात्युष्णा... |
138 | Q16037322 | 0 | 1 | कविं पुराणमनुशासितारम्... |
139 | Q16037323 | 0 | 1 | उद् |
140 | Q16037324 | 0 | 1 | कार्यमित्येव यत्कर्म... |
141 | Q16037332 | 0 | 1 | प्रलपन्विसृजन्गृह्णन्... |
142 | Q16037334 | 0 | 1 | मच्चित्ता मद्गतप्राणा... |
143 | Q16037336 | 0 | 1 | यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र... |
144 | Q16037338 | 0 | 1 | सत्त्वं सुखे सञ्जयति... |
145 | Q16037340 | 0 | 1 | द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा... |
146 | Q16037342 | 0 | 1 | यज्ञशिष्टामृतभुजो... |
147 | Q16037344 | 0 | 1 | एवं बहुविधा यज्ञा... |
148 | Q16037345 | 0 | 1 | उन्मादवासवदत्ता |
149 | Q16037346 | 0 | 1 | श्रेयान्द्रव्यमयाद्यज्ञात्... |
150 | Q16037348 | 0 | 1 | तद्विद्धि प्रणिपातेन... |
151 | Q16037349 | 0 | 1 | उपरागः |
152 | Q16037350 | 0 | 1 | यज्ज्ञात्वा न पुनर्मोहम्... |
153 | Q16037352 | 0 | 1 | अपि चेदसि पापेभ्यः... |
154 | Q16037353 | 0 | 1 | उपाधिखण्डनम् |
155 | Q16037354 | 0 | 1 | यथैधांसि समिद्धोऽग्निः... |
156 | Q16037356 | 0 | 1 | उपेन्द्रतीर्थः |
157 | Q16037357 | 0 | 1 | न हि ज्ञानेन सदृशं... |
158 | Q16037359 | 0 | 1 | श्रद्धावॉंल्लभते ज्ञानं... |
159 | Q16037361 | 0 | 1 | योगसंन्यस्तकर्माणं... |
160 | Q16037363 | 0 | 1 | तस्मादज्ञानसम्भूतं... |
161 | Q16037365 | 0 | 1 | अनेकवक्त्रनयनम्... |
162 | Q16037367 | 0 | 1 | अभ्यासेऽप्यसमर्थोऽसि... |
163 | Q16037370 | 0 | 1 | काममाश्रित्य दुष्पूरं... |
164 | Q16037374 | 0 | 1 | तेषां सततयुक्तानां... |
165 | Q16037376 | 0 | 1 | न द्वेष्ट्यकुशलं कर्म... |
166 | Q16037378 | 0 | 1 | प्रयाणकाले मनसाचलेन... |
167 | Q16037382 | 0 | 1 | ब्रह्मण्याधाय कर्माणि... |
168 | Q16037385 | 0 | 1 | ऋषभदेवचरितम् |
169 | Q16037386 | 0 | 1 | मयि चानन्ययोगेन... |
170 | Q16037388 | 0 | 1 | यातयामं गतरसं... |
171 | Q16037390 | 6 | 1 | yogī yuñjīta satatam... |
172 | Q16037394 | 0 | 1 | सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा... |
173 | Q16037396 | 0 | 1 | अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं... |
174 | Q16037397 | 0 | 1 | एकावली |
175 | Q16037398 | 0 | 1 | अफलाकाङ्क्षिभिर्यज्ञो... |
176 | Q16037403 | 0 | 1 | चिन्तामपरिमेयां च... |
177 | Q16037405 | 0 | 1 | तेषामेवानुकम्पार्थम्... |
178 | Q16037407 | 0 | 1 | दिव्यमाल्याम्बरधरं... |
179 | Q16037409 | 0 | 1 | देवान्भावयतानेन... |
180 | Q16037411 | 0 | 1 | न हि देहभृता शक्यं... |
181 | Q16037417 | 0 | 1 | यदक्षरं वेदविदो वदन्ति... |
182 | Q16037425 | 0 | 1 | सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन्... |
183 | Q16037427 | 0 | 1 | ६.११ शुजौ देशे प्रतिं... |
184 | Q16037429 | 0 | 1 | अनिष्टमिष्टं मिश्रं च... |
185 | Q16037431 | 0 | 1 | अभिसन्धाय तु फलं... |
186 | Q16037433 | 0 | 1 | आशापाशशतैर्बद्धाः... |
187 | Q16037435 | 0 | 1 | इष्टान्भोगान् हि वो देवा... |
188 | Q16037439 | 0 | 1 | एलिज़ाबेथ प्रथम |
189 | Q16037443 | 0 | 1 | ज्ञेयं यत्तत्प्रवक्ष्यामि... |
190 | Q16037446 | 0 | 1 | एव |
191 | Q16037447 | 0 | 1 | दिवि सूर्यसहस्रस्य... |
192 | Q16037451 | 0 | 1 | परं ब्रह्म परं धाम... |
193 | Q16037457 | 0 | 1 | युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा... |
194 | Q16037461 | 0 | 1 | लोभः प्रवृत्तिरारम्भः... |
195 | Q16037464 | 0 | 1 | श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासात्... |
196 | Q16037466 | 0 | 1 | अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च... |
197 | Q16037467 | 0 | 1 | ओदनवनेश्वरविजयम् |
198 | Q16037468 | 0 | 1 | आहुस्त्वामृषयः सर्वे... |
199 | Q16037470 | 0 | 1 | इदमद्य मया लब्धम्... |
200 | Q16037471 | 0 | 1 | ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म.... |
201 | Q16037477 | 0 | 1 | तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्नं... |
202 | Q16037483 | 0 | 1 | पञ्चैतानि महाबाहो... |
203 | Q16037487 | 0 | 1 | यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो... |
204 | Q16037490 | 0 | 1 | विधिहीनमसृष्टान्नं... |
205 | Q16037493 | 0 | 1 | ओषजनम् |
206 | Q16037494 | 0 | 1 | सर्वकर्माणि मनसा... |
207 | Q16037496 | 0 | 1 | सर्वद्वाराणि संयम्य... |
208 | Q16037503 | 0 | 1 | ८.१५ मापुपेत्य पुनर्जन्म.. |
209 | Q16037505 | 0 | 1 | अन्नाद्भवन्ति भूतानि... |
210 | Q16037508 | 0 | 1 | असौ मया हतः शत्रुः... |
211 | Q16037512 | 0 | 1 | ततः स विस्मयाविष्टो... |
212 | Q16037514 | 0 | 1 | देवद्विजगुरुप्राज्ञ... |
213 | Q16037518 | 0 | 1 | न कर्तृत्वं न कर्माणि... |
214 | Q16037519 | 0 | 1 | कण्ठम् |
215 | Q16037526 | 0 | 1 | यदा सत्त्वे प्रवृद्धे तु... |
216 | Q16037530 | 0 | 1 | सन्तुष्टः सततं योगी... |
217 | Q16037531 | 0 | 1 | करुणालहरी |
218 | Q16037532 | 0 | 1 | सर्वमेतदृतं मन्ये... |
219 | Q16037534 | 0 | 1 | सर्वेन्द्रियगुणाभासं... |
220 | Q16037536 | 0 | 1 | अनन्यचेताः सततं.... |
221 | Q16037538 | 0 | 1 | अनुद्वेगकरं वाक्यं... |
222 | Q16037540 | 0 | 1 | आढ्योऽभिजनवानस्मि... |
223 | Q16037541 | 0 | 1 | कविकर्णपूरः |
224 | Q16037543 | 0 | 1 | कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि... |
225 | Q16037546 | 0 | 1 | कषायाणाम् आवली |
226 | Q16037549 | 0 | 1 | नादत्ते कस्यचित्पापं... |
227 | Q16037551 | 0 | 1 | पश्यामि देवांस्तव देव... |
228 | Q16037555 | 0 | 1 | बहिरन्तश्च भूतानाम्... |
229 | Q16037557 | 0 | 1 | मामुपेत्य पुनर्जन्म... |
230 | Q16037562 | 0 | 1 | यस्मान्नोद्विजते लोको... |
231 | Q16037566 | 0 | 1 | रजसि प्रलयं गत्वा... |
232 | Q16037568 | 0 | 1 | शरीरवाङ्मनोभिर्यत्... |
233 | Q16037572 | 0 | 1 | स्वयमेवात्मनात्मानं... |
234 | Q16037574 | 0 | 1 | अनपेक्षः शुचिर्दक्ष... |
235 | Q16037576 | 0 | 1 | अनेकचित्तविभ्रान्ता... |
236 | Q16037578 | 0 | 1 | अनेकबाहूदरवक्त्रनेत्रं... |
237 | Q16037581 | 0 | 1 | काळी |
238 | Q16037585 | 0 | 1 | आब्रह्मभुवनाल्लोकाः... |
239 | Q16037589 | 0 | 1 | एवं प्रवर्तितं चक्रं... |
240 | Q16037591 | 0 | 1 | काव्यप्राकशसंकेतः |
241 | Q16037592 | 0 | 1 | कर्मणः सुकृतस्याहुः... |
242 | Q16037594 | 0 | 1 | काव्यरत्नम् |
243 | Q16037599 | 0 | 1 | काव्यालङ्कारसारसङ्ग्रहः |
244 | Q16037601 | 0 | 1 | ज्ञानेन तु तदज्ञानं... |
245 | Q16037604 | 0 | 1 | तत्रैवं सति कर्तारम्... |
246 | Q16037618 | 0 | 1 | मनःप्रसादः सौम्यत्वं... |
247 | Q16037623 | 0 | 1 | वक्तुमर्हस्यशेषेण... |
248 | Q16037635 | 0 | 1 | कुमारभार्गवीयम् |
249 | Q16037636 | 0 | 1 | कथं विद्यामहं योगिन्... |
250 | Q16037640 | 0 | 1 | कुवलयाश्वचरितम् |
251 | Q16037647 | 0 | 1 | किरीटिनं गदिनं... |
252 | Q16037649 | 0 | 1 | केदकनदी |
253 | Q16037653 | 0 | 1 | ज्योतिषामपि तज्ज्योतिः... |
254 | Q16037655 | 0 | 1 | तद्बुद्धयस्तदात्मानः |
255 | Q16037667 | 0 | 1 | यस्त्वात्मरतिरेव स्यात्... |
256 | Q16037674 | 0 | 1 | यस्य नाहङ्कृतो भावो... |
257 | Q16037677 | 0 | 1 | केलीरहस्यम् |
258 | Q16037684 | 0 | 1 | यो न हृष्यति न द्वेष्टि... |
259 | Q16037687 | 0 | 1 | केशवमित्रः |
260 | Q16037690 | 0 | 1 | श्रद्धया परया तप्तं... |
261 | Q16037695 | 0 | 1 | सत्त्वात्सञ्जायते ज्ञानं... |
262 | Q16037699 | 0 | 1 | सहस्रयुगपर्यन्तम्... |
263 | Q16037709 | 0 | 1 | अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वाः... |
264 | Q16037714 | 0 | 1 | अहङ्कारं बलं दर्पं... |
265 | Q16037720 | 0 | 1 | इति क्षेत्रं तथा ज्ञानं... |
266 | Q16037731 | 0 | 1 | ऊर्ध्वं गच्छन्ति सत्त्वस्था... |
267 | Q16037739 | 0 | 1 | ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता... |
268 | Q16037741 | 0 | 1 | कौमुदीसोमम् |
269 | Q16037744 | 0 | 1 | क्यालेण्डर् ह्यू लाङ्ग् बोर्न् |
270 | Q16037746 | 0 | 1 | त्वमक्षरं परमं... |
271 | Q16037757 | 0 | 1 | नैव तस्य कृतेनार्थो... |
272 | Q16037772 | 0 | 1 | विद्याविनयसम्पन्ने... |
273 | Q16037775 | 0 | 1 | विस्तरेणात्मनो योगं... |
274 | Q16037780 | 0 | 1 | सत्कारमानपूजार्थं... |
275 | Q16037784 | 0 | 1 | समः शत्रौ च मित्रे च... |
276 | Q16037787 | 0 | 1 | अनादिमध्यान्तम्... |
277 | Q16037792 | 0 | 1 | इहैव तैर्जितः सर्गो... |
278 | Q16037808 | 0 | 1 | गीतगौरीशः |
279 | Q16037809 | 0 | 1 | ज्ञानं कर्म च कर्ता च... |
280 | Q16037814 | 0 | 1 | तस्मादसक्तः सततम्... |
281 | Q16037816 | 0 | 1 | तानहं द्विषतः क्रूरान्... |
282 | Q16037821 | 0 | 1 | तुल्यनिन्दास्तुतिर्मौनी... |
283 | Q16037831 | 0 | 1 | प्रकृतिं पुरुषं चैव... |
284 | Q16037841 | 0 | 1 | भूतग्रामः स एवायं... |
285 | Q16037848 | 0 | 1 | मूढग्राहेणात्मनो यत्... |
286 | Q16037867 | 0 | 1 | चक्रा |
287 | Q16037869 | 0 | 1 | हन्त ते कथयिष्यामि... |
288 | Q16037874 | 0 | 1 | अहमात्मा गुडाकेश... |
289 | Q16037877 | 0 | 1 | आसुरीं योनिमापन्ना... |
290 | Q16037884 | 0 | 1 | कर्मणैव हि संसिद्धिम्... |
291 | Q16037892 | 0 | 1 | कार्यकरणकर्तृत्वे... |
292 | Q16037894 | 0 | 1 | चित्रचन्द्रिका |
293 | Q16037896 | 0 | 1 | गुणानेतानतीत्य त्रीन्... |
294 | Q16037898 | 0 | 1 | चित्रमीमांसा |
295 | Q16037903 | 0 | 1 | दातव्यमिति यद्दानं... |
296 | Q16037904 | 0 | 1 | चैतन्यचरितोदयः |
297 | Q16037906 | 0 | 1 | द्यावापृथिव्योरिदम्... |
298 | Q16037907 | 0 | 1 | चैतन्यहरितामृतम् |
299 | Q16037910 | 0 | 1 | छन्दोनुशासनम् |
300 | Q16037913 | 0 | 1 | न प्रहृष्येत्प्रियं प्राप्य... |
301 | Q16037917 | 0 | 1 | परस्तस्मात्तु भावोऽन्यो... |
302 | Q16037923 | 0 | 1 | ये तु धर्म्यामृतमिदं... |
303 | Q16037927 | 0 | 1 | सर्वभूतेषु येनैकं... |
304 | Q16037931 | 0 | 1 | अमी हि त्वां सुरसङ्घा... |
305 | Q16037935 | 0 | 1 | अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तः... |
306 | Q16037937 | 0 | 1 | आदित्यानामहं विष्णुः... |
307 | Q16037941 | 0 | 1 | कैर्लिङ्गैस्त्रीन्गुणानेतान्... |
308 | Q16037945 | 0 | 1 | त्रिविधं नरकस्येदं... |
309 | Q16037950 | 0 | 1 | पुरुषः प्रकृतिस्थो हि... |
310 | Q16037953 | 0 | 1 | पृथक्त्वेन तु यज्ज्ञानं... |
311 | Q16037955 | 0 | 1 | बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा... |
312 | Q16037957 | 0 | 1 | यत्तु प्रत्युपकारार्थं... |
313 | Q16037959 | 0 | 1 | यद्यदाचरति श्रेष्ठः... |
314 | Q16037971 | 0 | 1 | उपद्रष्टानुमन्ता च... |
315 | Q16037973 | 0 | 1 | एतैर्विमुक्तः कौन्तेय... |
316 | Q16037975 | 0 | 1 | न मे पार्थास्ति कर्तव्यं... |
317 | Q16037976 | 0 | 1 | जूलियस कैसर |
318 | Q16037978 | 0 | 1 | पुरुषः स परः पार्थ... |
319 | Q16037980 | 0 | 1 | प्रकाशं च प्रवृत्तिं च... |
320 | Q16037985 | 0 | 1 | यत्तु कृत्स्नवदेकस्मिन्... |
321 | Q16037991 | 0 | 1 | ये हि संस्पर्शजा भोगाः... |
322 | Q16037993 | 0 | 1 | रुद्रादित्या वसवो ये... |
323 | Q16037998 | 0 | 1 | वेदानां सामवेदोऽस्मि... |
324 | Q16038005 | 0 | 1 | उदासीनवदासीनो... |
325 | Q16038012 | 0 | 1 | नियतं सङ्गरहितम्... |
326 | Q16038014 | 0 | 1 | ज्यामघः |
327 | Q16038017 | 0 | 1 | य एवं वेत्ति पुरुषं... |
328 | Q16038021 | 0 | 1 | यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य... |
329 | Q16038023 | 0 | 1 | यत्र काले त्वनावृत्तिम्... |
330 | Q16038025 | 0 | 1 | यदि ह्यहं न वर्तेयं... |
331 | Q16038029 | 0 | 1 | रुद्राणां शङ्करश्चास्मि... |
332 | Q16038031 | 0 | 1 | रूपं महत्ते बहुवक्त्र... |
333 | Q16038032 | 0 | 1 | शक्नोतीहैव यः सोढुं... |
334 | Q16038033 | 0 | 1 | ॐ तत्सदिति निर्देशो... |
335 | Q16038035 | 0 | 1 | उत्सीदेयुरिमे लोका... |
336 | Q16038037 | 0 | 1 | तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते... |
337 | Q16038038 | 0 | 1 | तस्मादोमित्युदाहृत्य... |
338 | Q16038039 | 0 | 1 | ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति... |
339 | Q16038040 | 0 | 1 | नभःस्पृशं दीप्तमनेक... |
340 | Q16038041 | 0 | 1 | पुरोधसां च मुख्यं मां... |
341 | Q16038043 | 0 | 1 | यत्तु कामेप्सुना कर्म... |
342 | Q16038044 | 0 | 1 | योऽन्तःसुखोऽन्तरारामः... |
343 | Q16038046 | 0 | 1 | समदुःखसुखस्वस्थः... |
344 | Q16038047 | 0 | 1 | अनुबन्धं क्षयं हिंसाम्... |
345 | Q16038048 | 0 | 1 | अन्ये त्वेवमजानन्तः... |
346 | Q16038050 | 0 | 1 | तदित्यनभिसन्धाय... |
347 | Q16038051 | 0 | 1 | दंष्ट्राकरालानि च ते... |
348 | Q16038053 | 0 | 1 | धूमो रात्रिस्तथा कृष्णः... |
349 | Q16038056 | 0 | 1 | महर्षीणां भृगुरहं... |
350 | Q16038057 | 0 | 1 | मानापमानयोस्तुल्यः... |
351 | Q16038058 | 0 | 1 | लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणम्... |
352 | Q16038060 | 0 | 1 | सक्ताः कर्मण्यविद्वांसो... |
353 | Q16038061 | 0 | 1 | अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य... |
354 | Q16038062 | 0 | 1 | अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां... |
355 | Q16038063 | 0 | 1 | कामक्रोधवियुक्तानां... |
356 | Q16038065 | 0 | 1 | न बुद्धिभेदं जनयेद्... |
357 | Q16038067 | 0 | 1 | मां च योऽव्यभिचारेण... |
358 | Q16038068 | 0 | 1 | मुक्तसङ्गोऽनहंवादी... |
359 | Q16038072 | 0 | 1 | शुक्लकृष्णे गती ह्येते... |
360 | Q16038073 | 0 | 1 | श्रोत्रादीनीन्द्रियाण्यन्ये... |
361 | Q16038074 | 0 | 1 | सद्भावे साधुभावे च... |
362 | Q16038076 | 0 | 1 | उच्चैःश्रवसमश्वानां... |
363 | Q16038078 | 0 | 1 | जातस्य हि ध्रुवो मृत्युः... |
364 | Q16038080 | 0 | 1 | नैते सृती पार्थ जानन्... |
365 | Q16038081 | 0 | 1 | प्रकृतेः क्रियमाणानि... |
366 | Q16038083 | 0 | 1 | ब्रह्मणो हि प्रतिष्ठाहम्... |
367 | Q16038084 | 0 | 1 | यज्ञे तपसि दाने च... |
368 | Q16038085 | 0 | 1 | रागी कर्मफलप्रेप्सुः... |
369 | Q16038086 | 0 | 1 | वक्त्राणि ते त्वरमाणा... |
370 | Q16038087 | 0 | 1 | समं सर्वेषु भूतेषु... |
371 | Q16038088 | 0 | 1 | सर्वाणीन्द्रियकर्माणि... |
372 | Q16038089 | 0 | 1 | स्पर्शान्कृत्वा बहिर्बाह्यान्... |
373 | Q16038091 | 0 | 1 | अयुक्तः प्राकृतः स्तब्धः... |
374 | Q16038092 | 0 | 1 | अव्यक्तादीनि भूतानि... |
375 | Q16038093 | 0 | 1 | अश्रद्धया हुतं दत्तं... |
376 | Q16038094 | 0 | 1 | आयुधानामहं वज्रं... |
377 | Q16038095 | 0 | 1 | तत्त्ववित्तु महाबाहो... |
378 | Q16038097 | 0 | 1 | यतेन्द्रियमनोबुद्धिः... |
379 | Q16038098 | 0 | 1 | यथा नदीनां बहवो... |
380 | Q16038100 | 0 | 1 | वेदेषु यज्ञेषु तपस्सु चैव... |
381 | Q16038101 | 0 | 1 | समं पश्यन्हि सर्वत्र... |
382 | Q16038104 | 0 | 1 | अनन्तश्चास्मि नागानां... |
383 | Q16038105 | 0 | 1 | अपाने जुह्वति प्राणं... |
384 | Q16038106 | 0 | 1 | आश्चर्यवत्पश्यति... |
385 | Q16038108 | 0 | 1 | प्रकृतेर्गुणसम्मूढाः... |
386 | Q16038109 | 0 | 1 | प्रकृत्यैव च कर्माणि... |
387 | Q16038110 | 0 | 1 | बुद्धेर्भेदं धृतेश्चैव... |
388 | Q16038111 | 0 | 1 | भोक्तारं यज्ञतपसां... |
389 | Q16038112 | 0 | 1 | यथा प्रदीप्तं ज्वलनं... |
390 | Q16038115 | 0 | 1 | अपरे नियताहाराः... |
391 | Q16038116 | 0 | 1 | देही नित्यमवध्योऽयं... |
392 | Q16038117 | 0 | 1 | प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां... |
393 | Q16038118 | 0 | 1 | मयि सर्वाणि कर्माणि... |
394 | Q16038120 | 0 | 1 | लेलिह्यसे ग्रसमानः... |
395 | Q16038122 | 0 | 1 | अनादित्वान्निर्गुणत्वात्... |
396 | Q16038123 | 0 | 1 | आख्याहि मे को भवान्... |
397 | Q16038124 | 0 | 1 | पवनः पवतामस्मि... |
398 | Q16038125 | 0 | 1 | यया धर्ममधर्मं च... |
399 | Q16038126 | 0 | 1 | ये मे मतमिदं नित्यम्... |
400 | Q16038128 | 0 | 1 | स्वधर्ममपि चावेक्ष्य... |
401 | Q16038130 | 0 | 1 | कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्... |
402 | Q16038131 | 0 | 1 | यदृच्छया चोपपन्नं... |
403 | Q16038133 | 0 | 1 | ये त्वेतदभ्यसूयन्तो... |
404 | Q16038134 | 0 | 1 | सर्गाणामादिरन्तश्च... |
405 | Q16038135 | 0 | 1 | तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो... |
406 | Q16038136 | 0 | 1 | धृत्या यया धारयते... |
407 | Q16038137 | 0 | 1 | यथा प्रकाशयत्येकः... |
408 | Q16038140 | 0 | 1 | सदृशं चेष्टते स्वस्याः... |
409 | Q16038142 | 0 | 1 | इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे... |
410 | Q16038143 | 0 | 1 | क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोरेवम्... |
411 | Q16038145 | 0 | 1 | द्रोणं च भीष्मं च जय... |
412 | Q16038146 | 0 | 1 | मृत्युः सर्वहरश्चाहम्... |
413 | Q16038147 | 0 | 1 | यया तु धर्मकामार्थान्... |
414 | Q16038149 | 0 | 1 | एतच्छ्रुत्वा वचनं... |
415 | Q16038152 | 0 | 1 | बृहत्साम तथा साम्नां... |
416 | Q16038153 | 0 | 1 | भयाद्रणादुपरतं... |
417 | Q16038154 | 0 | 1 | यया स्वप्नं भयं शोकं... |
418 | Q16038155 | 0 | 1 | ३.३५ श्रेयान् स्वधर्मो |
419 | Q16038156 | 0 | 1 | अवाच्यवादांश्च... |
420 | Q16038158 | 0 | 1 | द्यूतं छलयतामस्मि... |
421 | Q16038160 | 0 | 1 | सुखं त्विदानीं त्रिविधं... |
422 | Q16038161 | 0 | 1 | स्थाने हृषीकेश तव... |
423 | Q16038163 | 0 | 1 | कस्माच्च ते न नमेरन्... |
424 | Q16038164 | 0 | 1 | काम एष क्रोध एष... |
425 | Q16038166 | 0 | 1 | यत्तदग्रे विषमिव... |
426 | Q16038167 | 0 | 1 | वृष्णीनां वासुदेवोऽस्मि... |
427 | Q16038168 | 0 | 1 | हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं... |
428 | Q16038169 | 0 | 1 | त्वमादिदेवः पुरुषः... |
429 | Q16038171 | 0 | 1 | दण्डो दमयतामस्मि... |
430 | Q16038172 | 0 | 1 | धूमेनाव्रियते वह्निः... |
431 | Q16038174 | 0 | 1 | विषयेन्द्रियसंयोगाद्... |
432 | Q16038175 | 0 | 1 | सुखदुःखे समे कृत्वा... |
433 | Q16038176 | 0 | 1 | आवृतं ज्ञानमेतेन... |
434 | Q16038178 | 0 | 1 | एषा तेऽभिहिता साङ्ख्ये... |
435 | Q16038180 | 0 | 1 | यच्चापि सर्वभूतानां... |
436 | Q16038181 | 0 | 1 | यदग्रे चानुबन्धे च... |
437 | Q16038182 | 0 | 1 | वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः... |
438 | Q16038183 | 0 | 1 | इन्द्रियाणि मनो बुद्धिः... |
439 | Q16038185 | 0 | 1 | न तदस्ति पृथिव्यां वा... |
440 | Q16038186 | 0 | 1 | नमः पुरस्तादथ... |
441 | Q16038187 | 0 | 1 | नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां... |
442 | Q16038188 | 0 | 1 | नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति... |
443 | Q16038190 | 0 | 1 | तस्मात्त्वमिन्द्रियाण्यादौ... |
444 | Q16038193 | 0 | 1 | ब्राह्मणक्षत्रियविशां... |
445 | Q16038194 | 0 | 1 | यद्यद्विभूतिमत्सत्त्वं... |
446 | Q16038195 | 0 | 1 | व्यवसायात्मिका बुद्धिः... |
447 | Q16038196 | 0 | 1 | सखेति मत्वा प्रसभं... |
448 | Q16038197 | 0 | 1 | इन्द्रियाणि पराण्याहुः... |
449 | Q16038198 | 0 | 1 | यच्चावहासार्थम्... |
450 | Q16038199 | 0 | 1 | शमो दमस्तपः शौचं... |
451 | Q16038201 | 0 | 1 | एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा... |
452 | Q16038203 | 0 | 1 | पितासि लोकस्य... |
453 | Q16038204 | 0 | 1 | शौर्यं तेजो धृतिर्दाक्ष्यं... |
454 | Q16038206 | 0 | 1 | कृषिगौरक्ष्यवाणिज्यं... |
455 | Q16038207 | 0 | 1 | तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय... |
456 | Q16038209 | 0 | 1 | भोगैश्वर्यप्रसक्तानां... |
457 | Q16038211 | 0 | 1 | त्रैगुण्यविषया वेदा... |
458 | Q16038213 | 0 | 1 | स्वे स्वे कर्मण्यभिरतः... |
459 | Q16038215 | 0 | 1 | यतः प्रवृत्तिर्भूतानां... |
460 | Q16038217 | 0 | 1 | यावानर्थ उदपाने... |
461 | Q16038218 | 0 | 1 | ११.४६ किरीटिनं गदिनं... |
462 | Q16038219 | 0 | 1 | मया प्रसन्नेन... |
463 | Q16038222 | 0 | 1 | श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः... |
464 | Q16038223 | 0 | 1 | न वेदयज्ञाध्ययनैः... |
465 | Q16038224 | 0 | 1 | योगस्थः कुरु कर्माणि... |
466 | Q16038225 | 0 | 1 | सहजं कर्म कौन्तेय... |
467 | Q16038226 | 0 | 1 | असक्तबुद्धिः सर्वत्र... |
468 | Q16038227 | 0 | 1 | दूरेण ह्यवरं कर्म... |
469 | Q16038228 | 0 | 1 | मा ते व्यथा मा च... |
470 | Q16038229 | 0 | 1 | इत्यर्जुनं वासुदेवः... |
471 | Q16038230 | 0 | 1 | बुद्धियुक्तो जहातीह... |
472 | Q16038231 | 0 | 1 | सिद्धिं प्राप्तो यथा ब्रह्म... |
473 | Q16038232 | 0 | 1 | कर्मजं बुद्धियुक्ता हि... |
474 | Q16038233 | 0 | 1 | दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं... |
475 | Q16038234 | 0 | 1 | बुद्ध्या विशुद्धया युक्तो... |
476 | Q16038235 | 0 | 1 | यदा ते मोहकलिलं... |
477 | Q16038236 | 0 | 1 | विविक्तसेवी लघ्वाशी... |
478 | Q16038237 | 0 | 1 | सुदुर्दर्शमिदं रूपं... |
479 | Q16038238 | 0 | 1 | नाहं वेदैर्न तपसा... |
480 | Q16038239 | 0 | 1 | श्रुतिविप्रतिपन्ना ते... |
481 | Q16038240 | 0 | 1 | १८.५३ अहंकारं बलं दर्पं कामं |
482 | Q16038241 | 0 | 1 | ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा... |
483 | Q16038242 | 0 | 1 | भक्त्या त्वनन्यया शक्य... |
484 | Q16038243 | 0 | 1 | स्थितप्रज्ञस्य का भाषा... |
485 | Q16038244 | 0 | 1 | प्रजहाति यदा कामान्... |
486 | Q16038245 | 0 | 1 | भक्त्या मामभिजानाति... |
487 | Q16038246 | 0 | 1 | मत्कर्मकृन्मत्परमो... |
488 | Q16038247 | 0 | 1 | सर्वकर्माण्यपि सदा... |
489 | Q16038248 | 0 | 1 | चेतसा सर्वकर्माणि... |
490 | Q16038249 | 0 | 1 | दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः... |
491 | Q16038250 | 0 | 1 | यः सर्वत्रानभिस्नेहः... |
492 | Q16038251 | 0 | 1 | मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि... |
493 | Q16038252 | 0 | 1 | यदा संहरते चायं... |
494 | Q16038253 | 0 | 1 | यद्यहङ्कारमाश्रित्य... |
495 | Q16038254 | 0 | 1 | विषया विनिवर्तन्ते... |
496 | Q16038255 | 0 | 1 | यततो ह्यपि कौन्तेय... |
497 | Q16038256 | 0 | 1 | स्वभावजेन कौन्तेय... |
498 | Q16038257 | 0 | 1 | ईश्वरः सर्वभूतानां... |
499 | Q16038258 | 0 | 1 | तानि सर्वाणि संयम्य... |
500 | Q16038259 | 0 | 1 | तमेव शरणं गच्छ... |
501 | Q16038260 | 0 | 1 | ध्यायतो विषयान्पुंसः... |
502 | Q16038261 | 0 | 1 | इति ते ज्ञानमाख्यातं... |
503 | Q16038262 | 0 | 1 | क्रोधाद्भवति सम्मोहः... |
504 | Q16038263 | 0 | 1 | रागद्वेषवियुक्तैस्तु... |
505 | Q16038264 | 0 | 1 | सर्वगुह्यतमं भूयः... |
506 | Q16038265 | 0 | 1 | प्रसादे सर्वदुःखानां... |
507 | Q16038266 | 0 | 1 | १८.६५ मन्मना भव मद्भक्तो |
508 | Q16038267 | 0 | 1 | नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य... |
509 | Q16038268 | 0 | 1 | सर्वधर्मान्परित्यज्य... |
510 | Q16038269 | 0 | 1 | इदं ते नातपस्काय... |
511 | Q16038270 | 0 | 1 | इन्द्रियाणां हि चरतां... |
512 | Q16038271 | 0 | 1 | तस्माद्यस्य महाबाहो... |
513 | Q16038272 | 0 | 1 | य इदं परमं गुह्यं... |
514 | Q16038273 | 0 | 1 | न च तस्मान्मनुष्येषु... |
515 | Q16038274 | 0 | 1 | या निशा सर्वभूतानां... |
516 | Q16038275 | 0 | 1 | अध्येष्यते च ये इमं... |
517 | Q16038276 | 0 | 1 | आपूर्यमाणमचल... |
518 | Q16038277 | 0 | 1 | विहाय कामान्यः सर्वान्... |
519 | Q16038278 | 0 | 1 | श्रद्धावाननसूयश्च... |
520 | Q16038279 | 0 | 1 | एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ... |
521 | Q16038280 | 0 | 1 | कच्चिदेतच्छ्रुतं पार्थ... |
522 | Q16038281 | 0 | 1 | नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा... |
523 | Q16038282 | 0 | 1 | इत्यहं वासुदेवस्य... |
524 | Q16038283 | 0 | 1 | व्यासप्रसादाच्छ्रुतवान्... |
525 | Q16038284 | 0 | 1 | राजन्संस्मृत्य संस्मृत्य... |
526 | Q16038285 | 0 | 1 | यत्र योगेश्वरः कृष्णो... |
527 | Q16038286 | 0 | 1 | तच्च संस्मृत्य संस्मृत्य... |
528 | Q16038297 | 0 | 1 | 1.10 अभावप्रत्ययालंबना व्रत्तिः निर्द्रा… |
529 | Q16038298 | 0 | 1 | 1.11 अनुभूतविषयासंप्रमोषः स्मृतिः… |
530 | Q16038299 | 0 | 1 | 1.12 अभ्यासवैराग्यभ्यां तन्निरोधः… |
531 | Q16038300 | 0 | 1 | 1.13 तत्र स्थितौ यत्नोऽभ्यासः … |
532 | Q16038301 | 0 | 1 | 1.14 स तु दीर्गकाल-नैरंतर्य-सत्कारासेवितो द्रढभूमिः… |
533 | Q16038302 | 0 | 1 | 1.15 द्र्ष्टानुश्रविकविषयवितृष्णस्य वशीकारसंज्ञा वैराग्यम्… |
534 | Q16038303 | 0 | 1 | 1.16 तत्परं पुरुषख्यातेर्गणवैतृष्ण्यम्… |
535 | Q16038304 | 0 | 1 | 1.17 वितर्कविचारानंदास्मितारोपानुगमात् संप्रज्ञातः… |
536 | Q16038305 | 0 | 1 | 1.18 विरामप्रत्ययाभ्यासपूर्वः संस्कारशेषोऽन्यः… |
537 | Q16038306 | 0 | 1 | 1.19 भवप्रत्ययो विदेहप्रकृतिलयानाम् … |
538 | Q16038307 | 0 | 1 | 1.20 श्रद्धावीर्यस्मृतिसमाधिप्रज्ञापूर्वक इतरेषाम्… |
539 | Q16038308 | 0 | 1 | 1.21 तीव्रसंवेगानामासन्नः… |
540 | Q16038309 | 0 | 1 | 1.22 मृदुमध्यादिमात्रत्वात्ततोऽपि विशेषः… |
541 | Q16038310 | 0 | 1 | 1.23 ईश्वरप्राणिधानाद्वा… |
542 | Q16038311 | 0 | 1 | 1.24 क्लेषकर्मविपाकाशयैरपरामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः… |
543 | Q16038312 | 0 | 1 | 1.25 तत्र निरतिशयं सर्वज्ञाबीजम्… |
544 | Q16038313 | 0 | 1 | 1.26 पूर्वेषामपि गुरुः कालेनानवच्छेदात्… |
545 | Q16038314 | 0 | 1 | 1.27 तस्य वाचकः प्रणवः… |
546 | Q16038315 | 0 | 1 | 1.28 तज्जपस्तदर्थभावनम्… |
547 | Q16038316 | 0 | 1 | 1.29 ततः प्रत्यक्चेतनादिगमोऽप्यंतरायाभावश्च… |
548 | Q16038317 | 0 | 1 | 1.31 दुःखदौर्मनस्यांगमेजयत्वश्वासप्रश्वसा विक्षेपसहभुवः… |
549 | Q16038318 | 0 | 1 | 1.30 व्याधिस्त्यानसंशयप्रमादालस्याविरतिभ्रान्तिदर्शनालब्दभूमिकत्वानवस्थितत्वानि.... |
550 | Q16038319 | 0 | 1 | 1.32 तत्प्रतिषेधार्थमेकतत्वाभ्यासः… |
551 | Q16038320 | 0 | 1 | 1.33 मैत्रीकरुणामुदितोपेक्षणां सुखदुःखपुण्यापुण्यविषयाणां भावनातश्चित्तप्रसादनम्… |
552 | Q16038321 | 0 | 1 | 1.34 प्रच्छर्दनविधारणाभ्यां वा प्राणस्य… |
553 | Q16038322 | 0 | 1 | 1.35 विषयवती वा प्रवृत्तिरुत्पन्ना मनसः स्थितिनिबंधनी… |
554 | Q16038323 | 0 | 1 | 1.36 विशोका वा ज्योतिष्मती… |
555 | Q16038324 | 0 | 1 | 1.37 वीतरागविषयं वा चित्तम्… |
556 | Q16038325 | 0 | 1 | 1.38 स्वप्ननिद्राज्ञानालंभनं वा … |
557 | Q16038326 | 0 | 1 | 1.39 यथाऽभिमतध्यानाद्वा… |
558 | Q16038327 | 0 | 1 | 1.40 परमाणुपरममहत्त्वांतोऽस्य वषीकारः… |
559 | Q16038328 | 0 | 1 | 1.41 क्षीणवृत्तेरभिजातस्येव मणैर्ग्रहीतृग्रहणग्रह्येषु तत्स्थतदांजनता समापत्तिः… |
560 | Q16038329 | 0 | 1 | 1.42 तत्र शब्दार्थज्ञान्विकल्पैः संकीर्णा सवितर्का समापत्तिः … |
561 | Q16038330 | 0 | 1 | 1.43 स्मृतिपरिशुद्धौ स्वरूपशून्येवार्थमात्रनिर्भासा निर्वितका … |
562 | Q16038331 | 0 | 1 | 1.44 एतय्यैव सविचारा निर्विचारा च सूक्ष्मविषया व्याख्याता … |
563 | Q16038332 | 0 | 1 | 1.45 सूक्ष्मविषयत्वं चालिङ्गपर्यवसनानम्… |
564 | Q16038333 | 0 | 1 | 1.46 ता एव सबीजः समाधिः… |
565 | Q16038334 | 0 | 1 | 1.47 निर्विचारवैशारद्येऽध्यात्मप्रसादः… |
566 | Q16038335 | 0 | 1 | 1.48 ऋतुंभरा तत्र प्रज्ञा… |
567 | Q16038336 | 0 | 1 | 1.49 श्रुतानुमानप्रज्ञाभ्यामन्यविषया विशेषार्थत्वात्… |
568 | Q16038337 | 0 | 1 | 1.50 तज्जः संस्कारोऽन्यसंस्कारप्रतिबन्धी… |
569 | Q16038338 | 0 | 1 | 1.51 तस्यापि निरोधे सर्वनिरोधान्निर्बीजसमाधिरिति… |
570 | Q16038339 | 0 | 1 | 1.8 विपर्ययो मिथ्याज्ञानमतद्रूपप्रतिष्ठम्… |
571 | Q16038340 | 0 | 1 | 1.9 शब्दज्ञानानुपाती वस्तु शून्यो विकल्पः… |
572 | Q16038348 | 0 | 1 | 2.1 तपः स्वाद्यायेशरप्रणिदानानि क्रियायोगः |
573 | Q16038349 | 0 | 1 | 2.1 तपः स्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोगः |
574 | Q16038350 | 0 | 1 | 2.10 ते प्रतिप्रसवहेयाः सूक्ष्मः |
575 | Q16038351 | 0 | 1 | 2.10 ते प्रतिप्रसवहेयाः सूक्ष्माः |
576 | Q16038352 | 0 | 1 | 2.11 द्यानहेयास्तद्वत्तयः |
577 | Q16038353 | 0 | 1 | 2.11 ध्यानहेयास्तद्वृत्तयः |
578 | Q16038354 | 0 | 1 | 2.12 क्लेशमूलः कर्माशयो दृष्टादृष्टजन्मवेदनीयः |
579 | Q16038355 | 0 | 1 | 2.12 क्लेशमूलः कर्माशयो द्रश्टद्रष्टजन्म वेदनीयः |
580 | Q16038356 | 0 | 1 | 2.13 सति मूले तद्विपाको जात्यायुर्भोगाः |
581 | Q16038357 | 0 | 1 | 2.14 ते ह्लादपरितापफलाः पुण्यापुण्यहेतुत्वात् |
582 | Q16038358 | 0 | 1 | 2.14 ते ह्लादपरितापफलाः पुण्यापुण्य् हेतुत्वात् |
583 | Q16038359 | 0 | 1 | 2.15 परिणामतापसंस्कारदुःखैर्गुणवृत्तिविरोधाच्च दुःखमेव सर्वं विवेकिनः |
584 | Q16038360 | 0 | 1 | 2.15 परिणामतापसंस्कारदुःखैर्गुणव्रत्त्तिविरोदाच्च् दुःखमेव सर्वं विवॆकिनः |
585 | Q16038361 | 0 | 1 | 2.16 हेयं दुःखमनागतम् |
586 | Q16038362 | 0 | 1 | 2.17 द्रष्टद्रश्ययोः संयोगो हेयहेतुः |
587 | Q16038363 | 0 | 1 | 2.17 द्रष्टृदृश्ययोः संयोगो हेयहेतुः |
588 | Q16038364 | 0 | 1 | 2.18 प्रकाशक्रियास्थितिशीलं भूतेन्द्रियात्मकं भोगापवर्गार्थं दृश्यम् |
589 | Q16038365 | 0 | 1 | 2.18 प्रकाशक्रियास्थितिशीलं भोतेंद्रियात्मकं बॊगापवगार्थं द्रश्यम् । |
590 | Q16038366 | 0 | 1 | 2.19 विशेषाविशेशलिंगमात्रालिंगानि गुणपर्वाणि |
591 | Q16038367 | 0 | 1 | 2.19 विशेषाविशेषलिङ्गमात्रालिङ्गानि गुणपर्वाणि |
592 | Q16038368 | 0 | 1 | 2.2 समादिभावनार्थः क्ले़श्तनूकरणार्थश्च |
593 | Q16038369 | 0 | 1 | 2.2 समाधिभावनार्थः क्ले़शतनूकरणार्थश्च |
594 | Q16038370 | 0 | 1 | 2.20 द्रषाद्रशिमात्रः शुध्धोपि प्रत्ययानुपश्यः |
595 | Q16038371 | 0 | 1 | 2.20 द्रष्टा दृशिमात्रः शुद्धोऽपि प्रत्ययानुपश्यः |
596 | Q16038372 | 0 | 1 | 2.21 तदर्थ एव दृश्यस्यात्मा |
597 | Q16038373 | 0 | 1 | 2.22 कृतार्थं प्रति नष्टमप्यनष्टं तदन्यसाधारणत्वात्॥ |
598 | Q16038374 | 0 | 1 | 2.23 स्वस्वामिशक्त्योः स्वरूपोपलब्धिहेतुः संयोगः |
599 | Q16038375 | 0 | 1 | 2.24 तस्य हेतुरविद्या |
600 | Q16038376 | 0 | 1 | 2.25 स्वरूपप्रतिष्ठः पुरुष इत्युक्तम् |
601 | Q16038377 | 0 | 1 | 2.26 विवेकख्यातिरविप्लवा हानोपायः |
602 | Q16038378 | 0 | 1 | 2.27 तस्य सप्तधा प्रान्तभूमिः प्रज्ञा |
603 | Q16038379 | 0 | 1 | 2.28 योगाङ्गानुष्ठानादशुद्धिक्षये ज्ञानदीप्तिरा विवेकख्यातेः |
604 | Q16038380 | 0 | 1 | 2.29 यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहार धारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि |
605 | Q16038381 | 0 | 1 | 2.3 अविद्यास्मितारागद्वेशाभिनिवॆशाः पंचक्लॆशाः |
606 | Q16038382 | 0 | 1 | 2.3 अविद्यास्मितारागद्वेषाभिनिवेशाः पंचक्लेशाः |
607 | Q16038383 | 0 | 1 | 2.30अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः |
608 | Q16038384 | 0 | 1 | 2.31 जातिदेशकालसमयानवच्छिन्नाः सार्वभौमा महाव्रतम् |
609 | Q16038385 | 0 | 1 | 2.32 शौचसंतोषतपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमाः |
610 | Q16038386 | 0 | 1 | 2.33 वितर्कबाधने प्रतिपक्षभावनम् |
611 | Q16038387 | 0 | 1 | 2.34 वितर्क हिंसादयः कृतकारितानुमोदिता ..... |
612 | Q16038388 | 0 | 1 | 2.35 अहिंसाप्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वैरत्यागः |
613 | Q16038389 | 0 | 1 | 2.36 सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम् |
614 | Q16038390 | 0 | 1 | 2.37 अस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्थानम् |
615 | Q16038391 | 0 | 1 | 2.38 ब्रह्मचर्यप्रतिष्ठायां वीर्यलाभः |
616 | Q16038392 | 0 | 1 | 2.39 अपरिग्रहस्थैर्ये जन्मकथंतासंबोधः |
617 | Q16038393 | 0 | 1 | 2.4 अविद्याक्षेत्रमुत्तरेषां प्रसुप्ततनुविच्छिन्नोदाराणाम् |
618 | Q16038394 | 0 | 1 | 2.4 अविद्याक्षेत्रमुत्तरेषां प्रसुप्ततनुविच्छिन्नोधाराणाम् |
619 | Q16038395 | 0 | 1 | 2.40 शौचात्स्वाङ्गजुगुप्सा परैरसंसर्गः ॥ |
620 | Q16038396 | 0 | 1 | 2.41 सत्त्वशुद्धिसौमनस्यैकाग्र्येन्द्रियजयात्मदर्शनयोग्यत्वानि च |
621 | Q16038397 | 0 | 1 | 2.42 सन्तोषादनुत्तमः सुखलाभः |
622 | Q16038398 | 0 | 1 | 2.43 कायेन्द्रियसिद्धिरशुद्धिक्षयात्तपसः |
623 | Q16038399 | 0 | 1 | 2.44 स्वाध्यायादिष्टदेवतासंप्रयोगः |
624 | Q16038400 | 0 | 1 | 2.45 समाधिसिद्धिरीश्वरप्रणिधानात् |
625 | Q16038401 | 0 | 1 | 2.46 तत्र स्थिरसुखमासनम् |
626 | Q16038402 | 0 | 1 | 2.47 प्रयत्नशैथिल्यानन्तसमापत्तिभ्याम् |
627 | Q16038404 | 0 | 1 | 2.48 ततो द्वन्द्वानभिघातः |
628 | Q16038405 | 0 | 1 | 2.49 तस्मिन्सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेदः प्राणायामः |
629 | Q16038406 | 0 | 1 | 2.5 अनित्याशुचिदुःखानात्मसु नित्यशुचिसुखात्मख्यातिरविद्या |
630 | Q16038407 | 0 | 1 | 2.51 बाह्याभ्यन्तरविषयाक्षेपी चतुर्थः |
631 | Q16038409 | 0 | 1 | 2.52 ततः क्षीयते प्रकाशावरणम् |
632 | Q16038410 | 0 | 1 | 2.53 धारणासु च योग्यता मनसः |
633 | Q16038412 | 0 | 1 | 2.54 स्वस्वविषयासंप्रयोगे चित्तस्य स्वरूपानुकार इवेन्द्रियाणां प्रत्याहारः |
634 | Q16038413 | 0 | 1 | 2.55 ततः परमा वश्यतेन्द्रियाणाम् |
635 | Q16038415 | 0 | 1 | 2.6 द्रग्दशर्नशक्त्येरेकात्मतेवास्मिता |
636 | Q16038416 | 0 | 1 | 2.6 दृग्दर्शनशक्त्येरेकात्मतेवास्मिता |
637 | Q16038419 | 0 | 1 | 2.7 सुखानुशयी रागः |
638 | Q16038420 | 0 | 1 | 2.8 दुःखानुशयि द्वशः |
639 | Q16038423 | 0 | 1 | 2.8 दुःखानुशयी द्वेषः |
640 | Q16038424 | 0 | 1 | 2.9 स्वरसवाही विदुषोपि तथा रूडोऽभिनिवेशः |
641 | Q16038426 | 0 | 1 | 2.9 स्वरसवाही विदुषोपि तथा रॊडिऽभिनिवेशः |
642 | Q16038438 | 0 | 1 | 3.1 देशबंधश्चित्तस्य धारणा |
643 | Q16038440 | 0 | 1 | 3.10 तस्य प्रशान्तवाहिता संस्कारात |
644 | Q16038442 | 0 | 1 | 3.10 तस्य प्रशान्तवाहिता संस्कारात् |
645 | Q16038443 | 0 | 1 | 3.11 सर्वार्थतैकाग्रतयोः क्षयोदयौ चित्तस्य समाधिपरिणामः |
646 | Q16038445 | 0 | 1 | 3.12 ततः पुनः शान्तोदितौ तुल्यप्रत्ययौ चित्तस्यैकाग्रतापरिणामः |
647 | Q16038446 | 0 | 1 | 3.13 एतेन भूतेन्द्रियेषु धर्मलक्षणावस्थापरिणामा व्याख्याताः |
648 | Q16038448 | 0 | 1 | 3.14 शान्तोदिताव्यपदेश्यधर्मानुपाती धर्मी |
649 | Q16038449 | 0 | 1 | 3.15 क्रमान्यत्वं परिणामान्यत्वे हेतुः |
650 | Q16038450 | 0 | 1 | 3.16 परिणामत्रयसंयमादतीतानागतज्ञानम् |
651 | Q16038452 | 0 | 1 | 3.17 शब्दार्थप्रत्ययानामितरेतराध्यासात्संस्करस्तत्प्रविभागसंयमात्सर्वभूतरुतज्ञानम् |
652 | Q16038454 | 0 | 1 | 3.18 संस्कारसाक्षत्करणात्पूर्वजातिज्ञानम् |
653 | Q16038455 | 0 | 1 | 3.19 प्रत्ययस्य परचित्तज्ञानम् |
654 | Q16038458 | 0 | 1 | 3.20 न च तत्सालम्बनं, तस्याविषयीभूतत्वात् |
655 | Q16038460 | 0 | 1 | 3.21 कायरूपसंयमात्तद्ग्राह्यशक्तिस्तम्भे चक्षुःप्रकाशासंप्रयोगेऽन्तर्धानम् |
656 | Q16038462 | 0 | 1 | 3.22 सोपक्रमं निरुपक्रमं च कर्म, तत्संयमादपरान्तज्ञानम्, अरिष्टेभ्यो वा |
657 | Q16038463 | 0 | 1 | 3.23 मैत्र्यादिषु बलानि |
658 | Q16038465 | 0 | 1 | 3.24 बलेषु हस्तिबलादीनि |
659 | Q16038467 | 0 | 1 | 3.25 प्रवृत्त्यालोकन्यासात्सूक्ष्मव्यवहितविप्रकृष्टज्ञानम् |
660 | Q16038468 | 0 | 1 | 3.26 भुवनज्ञानम् सूर्ये संयमात् |
661 | Q16038469 | 0 | 1 | 3.26 भुवनज्ञानम् सूर्यो संयमात् |
662 | Q16038470 | 0 | 1 | 3.27 चंद्रे ताराव्यूहज्ञानम् |
663 | Q16038471 | 0 | 1 | 3.28 ध्रुवे तद्गतिज्ञानम् |
664 | Q16038472 | 0 | 1 | 3.29 नाभिचक्रे कायव्यूहज्ञानम् |
665 | Q16038473 | 0 | 1 | 3.3 तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूपशून्यमिव समाधिः |
666 | Q16038475 | 0 | 1 | 3.30 कण्ठकूपे क्षुत्पिपासानिवृत्तिः |
667 | Q16038476 | 0 | 1 | 3.31 कूर्मनाढ्यं स्थैर्यम् |
668 | Q16038477 | 0 | 1 | 3.32 मूर्धज्योतिषि सिद्धदर्शनम् |
669 | Q16038479 | 0 | 1 | 3.33 प्रातिभाद्वा सर्वम् |
670 | Q16038480 | 0 | 1 | 3.34 हृदये चित्तसंवित् |
671 | Q16038482 | 0 | 1 | 3.35 सत्वपुरुषयोरत्यन्तासंकीर्णयोः प्रत्ययाविशेषो भागः...... |
672 | Q16038483 | 0 | 1 | 3.36 ततः प्रातिभश्रावणवेदनादर्शास्वादवार्ता जायन्ते |
673 | Q16038485 | 0 | 1 | 3.37 ते समाधावुपसर्गा व्युत्त्थाने सिद्धयः |
674 | Q16038486 | 0 | 1 | 3.38 बन्धकारणशैथिल्यात् प्रचारसंवेदनाच्च चित्तस्य परशरीरावेशः |
675 | Q16038487 | 0 | 1 | 3.39 उदानजयाज्जलपंककंटकादि़ष्टसंग उत्क्रांतिश्च |
676 | Q16038488 | 0 | 1 | 3.4 त्रयमेकत्र संयमः |
677 | Q16038490 | 0 | 1 | 3.40 समानजयाज्ज्वलनम् |
678 | Q16038491 | 0 | 1 | 3.41 श्रोत्राकाशयोः संबंधसंयमाद्दिव्यम् श्रोत्रम् |
679 | Q16038493 | 0 | 1 | 3.42 कायाकाशयोः संबंधसंयमाल्लघतूल समापत्तेश्चाऽऽकाशगमनम् |
680 | Q16038494 | 0 | 1 | 3.43 बहिरकल्पिता वृत्तिर्महाविदेहा ततः प्रकाशवरणक्षयः |
681 | Q16038496 | 0 | 1 | 3.44 स्थूलस्वरूपसूक्ष्मन्वयार्थवत्त्वसंयमाद्भूतजयः |
682 | Q16038497 | 0 | 1 | 3.45 ततोऽणिमादिप्रादुर्भावः कायसंपत्तद्धर्मानभिघातश्च |
683 | Q16038499 | 0 | 1 | 3.46 रूपलावण्यबलवज्रसंहननत्वानि कायसंपत् |
684 | Q16038501 | 0 | 1 | 3.47 ग्रहणस्वरूपस्मितान्वयार्थवत्त्वसंयमादिंद्रियजयः |
685 | Q16038502 | 0 | 1 | 3.48 ततो मनोजवित्वं विकरणभावः प्रधनजयश्च |
686 | Q16038504 | 0 | 1 | 3.49 सत्त्वपुरुषान्यताख्यातिमात्रस्य सर्वभावादिष्ठातृत्वं सर्वज्ञातृत्वं च |
687 | Q16038506 | 0 | 1 | 3.5 तज्जयात् प्रज्ञालोकः |
688 | Q16038507 | 0 | 1 | 3.50 तद्वैराग्यादपि दोषबीजक्षये कैवल्यम् |
689 | Q16038509 | 0 | 1 | 3.51 स्थान्युपनिमंत्रणे संगस्मयाकरणं पुनरनिष्टप्रसंगात् |
690 | Q16038510 | 0 | 1 | 3.52 क्षणतत्क्रमयोः संयमाद्विवेकजं ज्ञानम् |
691 | Q16038512 | 0 | 1 | 3.53 जातिलक्षणदेशैरन्यतानवच्छेदात् तुल्ययॊस्ततः प्रतिपत्तिः |
692 | Q16038513 | 0 | 1 | 3.54 तारकं सर्वविषयं सर्वथाविषयमक्रमम् चेति विवेकजम् ज्ञानम् |
693 | Q16038515 | 0 | 1 | 3.55 सत्वपुरुषयोः शुध्दीसाम्ये कैवल्यमिति |
694 | Q16038516 | 0 | 1 | 3.6 तस्य भूमीषु विनियोगः |
695 | Q16038518 | 0 | 1 | 3.7 त्रयमन्तरङ्गं पूर्वेभ्यः |
696 | Q16038519 | 0 | 1 | 3.8 तदपि बहिरङ्गं निर्बीजस्य |
697 | Q16038521 | 0 | 1 | 3.9 व्युत्थाननिरोधसंस्कारयोरभिभवप्रादुर्भावौ निरोधक्षणचित्तान्वयो निरोधपरिणामः |
698 | Q16038534 | 0 | 1 | 4.1 जन्मौषधिमन्त्रतपःसमाधिजाः सिद्धयः |
699 | Q16038536 | 0 | 1 | 4.10 तासामनादित्वं चाशिषो नित्यत्वात् |
700 | Q16038538 | 0 | 1 | 4.11 हेतुफलाश्रयालम्बनैः संगृहीतत्वादेषामभावे तदभावः |
701 | Q16038541 | 0 | 1 | 4.12 अतीतानागतं स्वरूपतोऽस्त्यध्वभेदाद्धर्माणाम् |
702 | Q16038542 | 0 | 1 | 4.13 ते व्यक्तसूक्ष्मा गुणात्मानः |
703 | Q16038545 | 0 | 1 | 4.14 परिणामैकत्वाद्वस्तुतत्त्वम् |
704 | Q16038546 | 0 | 1 | 4.15 वस्तुसाम्ये चित्तभेदात्तयोर्विभक्तः पन्थाः |
705 | Q16038549 | 0 | 1 | 4.16 न चैकचित्ततन्त्रं वस्तु तदप्रमाणकं तदा किं स्यात् |
706 | Q16038550 | 0 | 1 | 4.17 तदुपरागापेक्षत्वात्चित्तस्य वस्तु ज्ञाताज्ञातम् |
707 | Q16038553 | 0 | 1 | 4.18 सदा ज्ञाताश्चित्तवृत्तयस्तत्प्रभोः पुरुषस्यापरिणामित्वात् |
708 | Q16038554 | 0 | 1 | 4.19 न तत्स्वाभासंदृश्यत्वात् |
709 | Q16038557 | 0 | 1 | 4.2 जात्यन्तरपरिणामः प्रकृत्यापूरात् |
710 | Q16038559 | 0 | 1 | 4.20 एकसमये चोभयानवधारणम् |
711 | Q16038561 | 0 | 1 | 4.21 चित्तान्तरदृश्ये बुद्धिबुद्धेरतिप्रसङ्गः स्मृतिसंकरश्च |
712 | Q16038566 | 0 | 1 | 4.24 तदसंख्येयवासनाचित्रमपि परार्थं संहत्यकारित्वात् |
713 | Q16038567 | 0 | 1 | 4.25 विशेषदर्शिन आत्मभावभावनाविनिवृत्तिः |
714 | Q16038570 | 0 | 1 | 4.26 तदा विवेकनिम्नं कैवल्यप्राग्भारं चित्तम् |
715 | Q16038571 | 0 | 1 | 4.27 तच्छिद्रेषु प्रत्ययान्तराणि संस्कारेभ्यः |
716 | Q16038574 | 0 | 1 | 4.28 हानमेषां क्लेशवदुक्तम् |
717 | Q16038575 | 0 | 1 | 4.29 प्रसंख्यानेऽप्यकुसीदस्य सर्वथा विवेकख्यातेर्धर्ममेघः समाधिः |
718 | Q16038578 | 0 | 1 | 4.3 निमित्तमप्रयोजकं प्रकृतीनां वरणभेदस्तु ततः क्षेत्रिकवत् |
719 | Q16038579 | 0 | 1 | 4.30 ततः क्लेशकर्मनिवृत्तिः |
720 | Q16038582 | 0 | 1 | 4.31 तदा सर्वावरणमलापेतस्य ज्ञानस्या।अनन्त्याज्ज्ञेयमल्पम् |
721 | Q16038584 | 0 | 1 | 4.32 ततः कृतार्थानां परिणामक्रमपरिसमाप्तिर्गुणानाम् |
722 | Q16038586 | 0 | 1 | 4.33 क्षणप्रतियोगी परिणामापरान्तनिर्ग्राह्यः क्रमः |
723 | Q16038587 | 0 | 1 | 4.34 पुरुषार्थशून्यानां गुणानां प्रतिप्रसवः कैवल्यं, स्वरूपप्रतिष्ठा वा चितिशक्तिरिति |
724 | Q16038590 | 0 | 1 | 4.5 प्रवृत्तिभेदे प्रयोजकं चित्तमेकमनेकेषाम् |
725 | Q16038591 | 0 | 1 | 4.4 निर्माणचित्तान्यस्मितामात्रात् |
726 | Q16038594 | 0 | 1 | 4.6 तत्र ध्यानजमनाशयम् |
727 | Q16038595 | 0 | 1 | 4.7 कर्माशुक्लाकृष्णं योगिनः त्रिविधमितरेषाम् |
728 | Q16038599 | 0 | 1 | 4.8 ततस्तद्विपाकानुगुणानामेवाभिव्यक्तिर्वासनानाम् |
729 | Q16038600 | 0 | 1 | 4.9 जातिदेशकालव्यवहितानामप्यानन्तर्यं, स्मृतिसंस्कारयोरेकरूपत्वात् |
730 | Q16038606 | 0 | 1 | ईश्वरनिरुपणम् |
731 | Q16038608 | 0 | 1 | कैवल्यविचारः |
732 | Q16038611 | 0 | 1 | चित्तपरिणामः |
733 | Q16038616 | 0 | 1 | ध्यानम् |
734 | Q16038620 | 0 | 1 | प्रत्याहारः |
735 | Q16038637 | 0 | 1 | अजिण्ठा-वेरूळ |
736 | Q16038638 | 0 | 1 | अत्रिस्मृतिः |
737 | Q16038643 | 0 | 1 | अधि |
738 | Q16038644 | 0 | 1 | अधिकरणकारकम् |
739 | Q16038647 | 0 | 1 | अधोक्षजतीर्थः |
740 | Q16038650 | 0 | 1 | अनंगजीवनम् |
741 | Q16038663 | 0 | 1 | Anukramanika Parva |
742 | Q16038664 | 0 | 1 | अनुमानवादः |
743 | Q16038666 | 0 | 1 | अनुव्याख्यानम् |
744 | Q16038673 | 0 | 1 | अन्नदातृचरितम् |
745 | Q16038678 | 0 | 1 | अन्याः समानाः कन्दुकक्रीडाश्च |
746 | Q16038679 | 0 | 1 | अन्विताभिधानवादः |
747 | Q16038681 | 0 | 1 | अप |
748 | Q16038682 | 0 | 1 | अपर्णा |
749 | Q16038684 | 0 | 1 | अपर्णादेवी |
750 | Q16038685 | 0 | 1 | अपवाह: |
751 | Q16038687 | 0 | 1 | अपहारवर्मचरितम् |
752 | Q16038691 | 0 | 1 | अपादानकारकम् |
753 | Q16038985 | 0 | 1 | अधिष्ठानं तथा कर्ता... |
754 | Q16038989 | 0 | 1 | आत्मसम्भाविताः स्तब्धा... |
755 | Q16038995 | 0 | 1 | नान्यं गुणेभ्यः कर्तारं... |
756 | Q16039000 | 0 | 1 | 4.22 चितेरप्रतिसंक्रमायास्तदाकारापत्तौ स्वबुद्धिसंवेदनम् |
757 | Q16039003 | 0 | 1 | 4.23 द्रष्टृदृश्योपरक्तं चित्तं सर्वार्थम् |
758 | Q16039006 | 0 | 1 | योगभूमयः |
759 | Q16039010 | 0 | 1 | समाधिः |
760 | Q16039013 | 0 | 1 | अन्तरः |
761 | Q16039029 | 0 | 1 | अभिव्यापकसप्तमी |
762 | Q16039032 | 0 | 1 | अभिषेकनाटकम् |
763 | Q16039035 | 0 | 1 | अभिहितान्वयवादः |
764 | Q16039057 | 0 | 1 | अमृतलताकषायम् |
765 | Q16039075 | 0 | 1 | अम्बिका |
766 | Q16039102 | 0 | 1 | अरसीकेरेविधानसभाक्षेत्रम् |
767 | Q16039111 | 0 | 1 | अर्कावतिजलबन्धः |
768 | Q16039113 | 0 | 1 | अर्जुनचरितम् |
769 | Q16039114 | 0 | 1 | अर्जुनरावणीयम् |
770 | Q16039120 | 0 | 1 | अर्थवृत्तिः |
771 | Q16039121 | 0 | 1 | अर्थव्यक्तिः |
772 | Q16039131 | 0 | 1 | अलम् |
773 | Q16039138 | 0 | 1 | अवदानशतकम् |
774 | Q16039142 | 0 | 1 | अवन्तीदेवी |
775 | Q16039144 | 0 | 1 | अव्ययीभावसमासः |
776 | Q16039177 | 0 | 1 | असम्प्रज्ञातसमाधिः |
777 | Q16039196 | 0 | 1 | अहोबल: |
778 | Q16039200 | 0 | 1 | अह्रगणः |
779 | Q16039217 | 0 | 1 | आग्रादुर्गः |
780 | Q16039222 | 0 | 1 | आङ् |
781 | Q16040753 | 0 | 1 | चिब्बलगुड्डे |
782 | Q16040755 | 0 | 1 | चूर्णानि |
783 | Q16040757 | 0 | 1 | चूर्णोपलः |
784 | Q16040767 | 0 | 1 | चेत् |
785 | Q16040769 | 0 | 1 | चेन्नगिरिः |
786 | Q16040787 | 0 | 1 | जगळूरुविधानसभाक्षेत्रम् |
787 | Q16040797 | 0 | 1 | जनार्दनतीर्थः |
788 | Q16040802 | 0 | 1 | जमखण्डीविधानसभाक्षेत्रम् |
789 | Q16040809 | 0 | 1 | जम्बूफलरसः |
790 | Q16040815 | 0 | 1 | जयन्तीनिर्णयः |
791 | Q16040816 | 0 | 1 | जयन्त्युत्सवाः |
792 | Q16040821 | 0 | 1 | जरासन्धवधः |
793 | Q16040854 | 0 | 1 | जातीपत्रम् |
794 | Q16040859 | 0 | 1 | जाम्बुवतीविजयम् काव्यम् |
795 | Q16040860 | 0 | 1 | जालकम् |
796 | Q16040867 | 0 | 1 | जिनेन्द्रबुद्धिः |
797 | Q16040869 | 0 | 1 | जिम्नास्टिक्स् |
798 | Q16040886 | 0 | 1 | जीरिकाचूर्णम् |
799 | Q16040888 | 0 | 1 | जीवन्मुक्तिविवेकः |
800 | Q16040904 | 0 | 1 | जेवर्गीविधानसभाक्षेत्रम् |
801 | Q16040907 | 0 | 1 | जेस्सोरेश्वरी/यशोरेश्वरी |
802 | Q16040925 | 0 | 1 | ज्वालामुखी |
803 | Q16041035 | 0 | 1 | डा मनमोहन अत्तावरः |
804 | Q16041037 | 0 | 1 | डा. जे. जे. चिनायः |
805 | Q16041039 | 0 | 1 | डा. डि. एन्. वाडिया |
806 | Q16041046 | 0 | 1 | डा. लेस्लि सि. कोल्मन् |
807 | Q16041067 | 0 | 1 | ण् |
808 | Q16041069 | 0 | 1 | तंज़ानिया |
809 | Q16041075 | 0 | 1 | तत्त्वम् |
810 | Q16041077 | 0 | 1 | तत्त्वविवेकः |
811 | Q16041079 | 0 | 1 | तत्त्वसाङ्ख्यानम् |
812 | Q16041081 | 0 | 1 | तत्त्वोद्योतः |
813 | Q16041083 | 0 | 1 | तत्पुरुषसमासः |
814 | Q16041087 | 0 | 1 | तन्त्रवार्तिकम् |
815 | Q16041094 | 0 | 1 | तपतीसंवरणम् |
816 | Q16041103 | 0 | 1 | तरिकेरेविधानसभाक्षेत्रम् |
817 | Q16041105 | 0 | 1 | तरिेकेरेविधानसभाक्षेत्रम् |
818 | Q16041111 | 0 | 1 | ताक्रम् |
819 | Q16041118 | 0 | 1 | तालवाडिपर्वतः |
820 | Q16041120 | 0 | 1 | तिक्तः |
821 | Q16041122 | 0 | 1 | तिङर्थः |
822 | Q16041124 | 0 | 1 | तिपटूरुविधानसभाक्षेत्रम् |
823 | Q16041142 | 0 | 1 | तिरुवळ्ळुवरदिनम् |
824 | Q16041149 | 0 | 1 | तिलकजयन्ती |
825 | Q16041151 | 0 | 1 | तिल्या |
826 | Q16041152 | 0 | 1 | तीर्थहळ्ळीविधानसभाक्षेत्रम् |
827 | Q16041163 | 0 | 1 | तुमकूरुग्रामान्तरविधानसभाक्षेत्रम् |
828 | Q16041165 | 0 | 1 | तुमकूरुनगरविधानसभाक्षेत्रम् |
829 | Q16041167 | 0 | 1 | तुरुवेकेरेविधानसभाक्षेत्रम् |
830 | Q16041169 | 0 | 1 | तुलसीकषायम् |
831 | Q16041179 | 0 | 1 | तूष्णीम् |
832 | Q16041181 | 0 | 1 | तृतीयाविभक्तिः |
833 | Q16041192 | 0 | 1 | तेरदाळविधानसभाक्षेत्रम् |
834 | Q16041205 | 0 | 1 | तोरवी |
835 | Q16041216 | 0 | 1 | त्रिकटुचूर्णम् |
836 | Q16041229 | 0 | 1 | त्रिवेणीरागः |
837 | Q16041231 | 0 | 1 | त्रिश्शूर् मण्डलम् |
838 | Q16041236 | 0 | 1 | त्रिषिखि-उपनिषत् |
839 | Q16041246 | 0 | 1 | त्वमेव माता च पिता त्वमेव इति |
840 | Q16041253 | 0 | 1 | थ् |
841 | Q16041262 | 0 | 1 | दक्षस्मृतिः |
842 | Q16041273 | 0 | 1 | दक्षिणगुल्बर्गाविधानसभाक्षेत्रम् |
843 | Q16041275 | 0 | 1 | दक्षिणदावणगेरेविधानसभाक्षेत्रम् |
844 | Q16041279 | 0 | 1 | दक्षिणबीदरविधानसभाक्षेत्रम् |
845 | Q16041281 | 0 | 1 | दक्षिणबेङ्गळूरुविधानसभाक्षेत्रम् |
846 | Q16041283 | 0 | 1 | दक्षिणबेळगावीविधानसभाक्षेत्रम् |
847 | Q16041285 | 0 | 1 | दक्षिणमङ्गळूरुनगरविधानसभाक्षेत्रम् |
848 | Q16041305 | 0 | 1 | दन्तशठफलम् |
849 | Q16041310 | 0 | 1 | दयानन्द-स्वामी |
850 | Q16041313 | 0 | 1 | दर्शनेषु प्रमाणानि |
851 | Q16041315 | 0 | 1 | दशमुखीमहाकाली |
852 | Q16041320 | 0 | 1 | दशोपनिषद्भाष्यग्रन्थः |
853 | Q16041323 | 0 | 1 | दादाजी कोण्डदेवः |
854 | Q16041324 | 0 | 1 | दाधिकम् |
855 | Q16041325 | 0 | 1 | दानकौमुदी |
856 | Q16041328 | 0 | 1 | दासरहळ्ळीविधानसभाक्षेत्रम् |
857 | Q16041343 | 0 | 1 | दिव्यावदानम् |
858 | Q16041345 | 0 | 1 | दीपाराधनम् |
859 | Q16041347 | 0 | 1 | दुर् |
860 | Q16041351 | 0 | 1 | दुस् |
861 | Q16041354 | 0 | 1 | देवऋणम् |
862 | Q16041357 | 0 | 1 | देवगर्भादेवी |
863 | Q16041362 | 0 | 1 | देवमातरः |
864 | Q16041617 | 0 | 1 | परिणामालङ्कारः |
865 | Q16041618 | 0 | 1 | परिशिष्टपर्व |
866 | Q16041619 | 0 | 1 | परिशिष्टम् |
867 | Q16041620 | 0 | 1 | परिसरमालिन्यम् |
868 | Q16041624 | 0 | 1 | महाभारत पर्व-सूची |
869 | Q16041629 | 0 | 1 | पलाण्डुलशुनकषायम् |
870 | Q16041630 | 0 | 1 | पलिमारुमठ |
871 | Q16041632 | 0 | 1 | पशुपक्षियुद्धक्रीडा |
872 | Q16041633 | 0 | 1 | पशुसंरक्षणस्य मीनकृषिविभागः |
873 | Q16041636 | 0 | 1 | पश्चिमक्षत्रपाः |
874 | Q16041639 | 0 | 1 | पश्चिमहुब्बळ्ळीधारवाडविधानसभाक्षेत्रम् |
875 | Q16041641 | 0 | 1 | पश्यन्तीवाक् |
876 | Q16041643 | 0 | 1 | पाङ्गळा |
877 | Q16041645 | 0 | 1 | पाञ्चालीरीतिः |
878 | Q16041648 | 0 | 1 | पाठनपद्धतयः |
879 | Q16041649 | 0 | 1 | पाणिनिव्याकरणस्य उपादेयता |
880 | Q16041650 | 0 | 1 | पाणिनीया शिक्षा |
881 | Q16041652 | 0 | 1 | पादपीठम् |
882 | Q16041655 | 0 | 1 | पानीयकषायम् |
883 | Q16041656 | 0 | 1 | पापनाशिनी |
884 | Q16041657 | 0 | 1 | पापिकोण्डलु |
885 | Q16041662 | 0 | 1 | पाराशरस्मृतिः |
886 | Q16041664 | 0 | 1 | पारिवारिकसमस्याः संस्कृतञ्च |
887 | Q16041668 | 0 | 1 | पावगडविधानसभाक्षेत्रम् |
888 | Q16041670 | 0 | 1 | पिकतनः |
889 | Q16041672 | 0 | 1 | पिण्डखर्जूरः |
890 | Q16041674 | 0 | 1 | पितृयज्ञः |
891 | Q16041675 | 0 | 1 | पित्तः |
892 | Q16041678 | 0 | 1 | पिरियापट्टणविधानसभाक्षेत्रम् |
893 | Q16041683 | 0 | 1 | पीढ |
894 | Q16041687 | 0 | 1 | पुण्यराजा |
895 | Q16041689 | 0 | 1 | पुत्तूरुविधानसभाक्षेत्रम् |
896 | Q16041691 | 0 | 1 | पुरा |
897 | Q16041692 | 0 | 1 | पुराणलक्षणम् |
898 | Q16041705 | 0 | 1 | पुलस्त्यस्मृतिः |
899 | Q16041706 | 0 | 1 | पुलिकेशिनगरविधानसभाक्षेत्रम् |
900 | Q16041707 | 0 | 1 | पुल्लिङ्ग साधारणशब्दाः |
901 | Q16041712 | 0 | 1 | पूर्णप्रज्ञविद्यापीठम् |
902 | Q16041715 | 0 | 1 | पूर्वहुब्बळ्ळीधारवाडविधानसभाक्षेत्रम् |
903 | Q16041716 | 0 | 1 | पृथिवीज्ञानं |
904 | Q16041718 | 0 | 1 | पृथुश्रवः |
905 | Q16041728 | 0 | 1 | पौनाराश्रमः |
906 | Q16041729 | 0 | 1 | पौरवकुल |
907 | Q16041730 | 0 | 1 | पौष्यः |
908 | Q16041733 | 0 | 1 | प्र |
909 | Q16041738 | 0 | 1 | प्रतापरुद्रयशोभूषणम् |
910 | Q16041742 | 0 | 1 | प्रतिविन्ध्य: |
911 | Q16041743 | 0 | 1 | प्रतिहारेन्दुराजा |
912 | Q16041747 | 0 | 1 | प्रथमाविभक्तिः |
913 | Q16041748 | 0 | 1 | प्रद्युम्नाभ्युदयम् |
914 | Q16041749 | 0 | 1 | प्रद्योतवंशः |
915 | Q16041750 | 0 | 1 | प्रपञ्चमिथ्यात्वानुमानखण्डनम् |
916 | Q16041751 | 0 | 1 | प्रबोधचन्द्रोदयः |
917 | Q16041752 | 0 | 1 | प्रभद्रकम् |
918 | Q16041754 | 0 | 1 | प्रभुदत्तशास्त्री |
919 | Q16041755 | 0 | 1 | प्रमाणलक्षणम् |
920 | Q16041761 | 0 | 1 | प्रयोगाः |
921 | Q16041762 | 0 | 1 | प्रलम्बधावनम् |
922 | Q16041764 | 0 | 1 | प्रवासी भारतीय मासपत्रिका |
923 | Q16041767 | 0 | 1 | प्रसवशास्त्रम् |
924 | Q16041768 | 0 | 1 | प्रसादः |
925 | Q16041775 | 0 | 1 | प्रहर्षिणीछन्दः |
926 | Q16041777 | 0 | 1 | प्राचीनः चिकित्सालयः |
927 | Q16041778 | 0 | 1 | Ancient biology |
928 | Q16041779 | 0 | 1 | प्राचीनभारतस्य आदर्शनार्यः |
929 | Q16041780 | 0 | 1 | प्राचीनविश्वविद्यालयाः |
930 | Q16041786 | 0 | 1 | प्रादेशिकपर्वाणि |
931 | Q16041788 | 0 | 1 | प्रासाद |
932 | Q16041792 | 0 | 1 | प्रेमचन्द् सिङ्ग् |
933 | Q16041807 | 0 | 1 | फराहबाद् |
934 | Q16041822 | 0 | 1 | फुल्लारदेवी |
935 | Q16041827 | 0 | 1 | फ्रान्सिस्को पजारो |
936 | Q16041835 | 0 | 1 | बङ्गारपेटेविधानसभाक्षेत्रम् |
937 | Q16041837 | 0 | 1 | बङ्गालीभैरवरागः |
938 | Q16041838 | 0 | 1 | बट्टनपालजलपातः |
939 | Q16041841 | 0 | 1 | बडहंसरागः |
940 | Q16041843 | 0 | 1 | बण्ट्वाळविधानसभाक्षेत्रम् |
941 | Q16205278 | 0 | 1 | वेदभाष्यकाराः |
942 | Q16205287 | 0 | 1 | वेदान्तपरिभाषा |
943 | Q16205305 | 0 | 1 | वेदान्ते अध्यारोपापवादन्यायस्य सञ्चालनम् |
944 | Q16205327 | 0 | 1 | समन्वयाध्यायः |
945 | Q16207308 | 0 | 1 | सीताराघवम् |
946 | Q16207319 | 0 | 1 | हिन्दूदेवालयः |
947 | Q16207533 | 0 | 1 | शिवागीतिः |
948 | Q16207608 | 0 | 1 | औपनिधिकम् |
949 | Q16207631 | 0 | 1 | ज्यौतिषायुर्वेदौ |
950 | Q16207652 | 0 | 1 | हृदयमुद्रा |
951 | Q16234358 | 0 | 1 | कृतकॊपगृहाः |
952 | Q16234359 | 0 | 1 | क्यान्सर्-(कर्करोग)निवारणा गायत्रीमुद्रा |
953 | Q16234361 | 0 | 1 | जनसंख्यस्फॊटः |
954 | Q16234413 | 0 | 1 | प्राचीनभारते विज्ञानवैभवम् |
955 | Q16234425 | 0 | 1 | रसगङ्गाधरे अप्रस्तुतप्रशंसालङ्कारस्य विचारः |
956 | Q16234430 | 0 | 1 | सन्धिप्रकरणम् |
957 | Q16273722 | 0 | 1 | अदितिमुद्रा |
958 | Q16273736 | 0 | 1 | अद्वैतगुरुपरम्परा |
959 | Q16273739 | 0 | 1 | अद्वैतसिद्धिः |
960 | Q16273772 | 0 | 1 | अयादिसन्धि |
961 | Q16273790 | 0 | 1 | असतः साधकत्वविमर्शः |
962 | Q16273807 | 0 | 1 | आशीर्वादमुद्रा |
963 | Q16273810 | 0 | 1 | इतिहासे सामाजिकप्रज्ञा |
964 | Q16273826 | 0 | 1 | कन्नडसंस्कृतिविभागः |
965 | Q16273865 | 0 | 1 | किं संस्कृते ला कारःअस्ति |
966 | Q16273869 | 0 | 1 | कृत् |
967 | Q16273951 | 0 | 1 | ग्रमिरि ग्रामः |
968 | Q16273983 | 0 | 1 | जलोदरनाशकमुद्रा |
969 | Q16273999 | 0 | 1 | जैनदर्शने प्रमाणप्रमेयमीमांसा |
970 | Q16274011 | 0 | 1 | तत्त्वशास्त्रम् |
971 | Q16274032 | 0 | 1 | तर्कशब्दावली |
972 | Q16274057 | 0 | 1 | दि ओपस् रुरालियं कमोडोरम् |
973 | Q16274075 | 0 | 1 | देवगिरि |
974 | Q16274086 | 0 | 1 | द्वैतनये शब्दोपलब्धिक्रमः |
975 | Q16274094 | 0 | 1 | धर्मसूत्रेषु प्रायश्चित्तविधानविमर्शः |
976 | Q16274099 | 0 | 1 | धारणाशक्तिमुद्रा |
977 | Q16274106 | 0 | 1 | ध्यानमुद्रा |
978 | Q16274120 | 0 | 1 | नमस्तेमुद्रा |
979 | Q16274173 | 0 | 1 | पङ्कजमुद्रा |
980 | Q16274176 | 0 | 1 | पञ्चमहाकाव्यानि |
981 | Q16274197 | 0 | 1 | पियोट्रो क्रेसेञ्जि |
982 | Q16274216 | 0 | 1 | पौलो ब्यागेलार्डो |
983 | Q16274227 | 0 | 1 | प्रबुद्ध कर्णाटक |
984 | Q16274231 | 0 | 1 | प्राचीनवैज्ञानिकग्रन्थाः |
985 | Q16274234 | 0 | 1 | प्राचेतसराजशास्त्रम् |
986 | Q16274237 | 0 | 1 | प्रो एम्. पि. एल्. शास्त्रि |
987 | Q16274284 | 0 | 1 | ब्रह्मैव जीव-जगत्-ईश्वराः |
988 | Q16274286 | 0 | 1 | भद्रगिरि अच्युतदासः |
989 | Q16274289 | 0 | 1 | भन्तोला |
990 | Q16274299 | 0 | 1 | भागवतचम्पू |
991 | Q16274302 | 0 | 1 | भारतविजयम् |
992 | Q16274311 | 0 | 1 | भारतीयवीरमहिलाः |
993 | Q16274321 | 0 | 1 | भेदपराण्येव खलु ब्रह्मसूत्राणि |
994 | Q16274351 | 0 | 1 | मलेमनेजलपातः |
995 | Q16274373 | 0 | 1 | मा |
996 | Q16274390 | 0 | 1 | मुष्ठिमुद्रा |
997 | Q16274411 | 0 | 1 | योनिमुद्रा |
998 | Q16274431 | 0 | 1 | रामनाथ वेदालङ्कारः |
999 | Q16274443 | 0 | 1 | राष्ट्रं भवति सर्वस्वम् |
1000 | Q16274449 | 0 | 1 | राष्ट्रियस्वयंसेवकसङ्घस्य सरसङ्घचालकाः |
1001 | Q16274463 | 0 | 1 | रुफिनस् |
1002 | Q16274466 | 0 | 1 | रूपकताल: |
1003 | Q16274471 | 0 | 1 | लिङ्गमुद्रा |
1004 | Q16274482 | 0 | 1 | वायुमुद्रा |
1005 | Q16274499 | 0 | 1 | शङ्खमुद्रा |
1006 | Q16274501 | 0 | 1 | शबरिगिरिः |
1007 | Q16274505 | 0 | 1 | शासनेषु पुराणप्रभावः |
1008 | Q16274514 | 0 | 1 | शून्यमुद्रा |
1009 | Q16274524 | 0 | 1 | श्रीशङ्करचरितामृतम् |
1010 | Q16274533 | 0 | 1 | समानमुद्रा |
1011 | Q16274539 | 0 | 1 | सहजशङ्खमुद्रा |
1012 | Q16274552 | 0 | 1 | सुबन्तकौमुदी |
1013 | Q16274554 | 0 | 1 | सुरभिमुद्रा |
1014 | Q16274558 | 0 | 1 | सूर्यमुद्रा |
1015 | Q16274566 | 0 | 1 | सौरयूथः |
1016 | Q16274568 | 0 | 1 | स्वरव्यवस्था |
1017 | Q16274574 | 0 | 1 | हस्तमुद्राणाम् उपयोगः |
1018 | Q17307728 | 0 | 1 | कातन्त्रव्याकरणम् |
1019 | Q17307733 | 0 | 1 | भारतस्य क्रान्तिकारिण्यः |
1020 | Q17307737 | 0 | 1 | सविनयनियमभङ्गान्दोलनम् |
1021 | Q19746789 | 0 | 1 | अविभक्तं च भूतेषु... |
1022 | Q19746840 | 0 | 1 | आनन्दमयाधिकरणचन्द्रिकावैशिष्ट्यम् |
1023 | Q19746904 | 0 | 1 | इस्लां सुल्तानाः |
1024 | Q19747087 | 0 | 1 | कर्तृत्वाधिकरणम् |
1025 | Q19747232 | 0 | 1 | कारवी |
1026 | Q19747236 | 0 | 1 | कालमानानि |
1027 | Q19747242 | 0 | 1 | काव्यप्रकाशदर्पणम् |
1028 | Q19747292 | 0 | 1 | कूटस्थनित्यत्वविचारः |
1029 | Q19747375 | 0 | 1 | खण्डनत्रयप्रकरणटीकावैशिष्ट्यम् |
1030 | Q19747947 | 0 | 1 | डिमः (रूपकम्) |
1031 | Q19748019 | 0 | 1 | तोलनविधिः |
1032 | Q19748167 | 0 | 1 | द्वैतनये मुक्तिः |
1033 | Q19748276 | 0 | 1 | नाटकम् (रूपकम्) |
1034 | Q19748358 | 0 | 1 | पक्षता |
1035 | Q19748363 | 0 | 1 | न्यायसुधायां प्राभाकरमतविमर्शः |
1036 | Q19748376 | 0 | 1 | पद्मनाभतीर्थः |
1037 | Q19748431 | 0 | 1 | पुराणेषु जलनैर्मल्यवायुनैर्मल्यचिन्ता |
1038 | Q19748434 | 0 | 1 | पुनरुत्पत्तिः प्रेत्यभावः |
1039 | Q19748463 | 0 | 1 | प्रकरणग्रन्थाः (द्वैतदर्शनम्) |
1040 | Q19748466 | 0 | 1 | प्रकरणम् (रूपकम्) |
1041 | Q19748475 | 0 | 1 | प्रथमसूत्रे पाठभेदः |
1042 | Q19748488 | 0 | 1 | प्रहसनम् (रूपकम्) |
1043 | Q19748630 | 0 | 1 | बाङ्गलापत्रिकाणाम् आवली |
1044 | Q19748671 | 0 | 1 | बोधिसत्त्वः (नाटकम्) |
1045 | Q19748684 | 0 | 1 | ब्रह्मसूत्रशाङ्करभाष्यम् |
1046 | Q19748711 | 0 | 1 | भारतसावित्री |
1047 | Q19748714 | 0 | 1 | भाणः (रूपकम्) |
1048 | Q19748717 | 0 | 1 | भाईकाका |
1049 | Q19748742 | 0 | 1 | भारतीयसंस्कृतेः मूलतत्त्वानि |
1050 | Q19748745 | 0 | 1 | भारतीयर्शनेषु ख्यातिस्वरूपम् |
1051 | Q19748771 | 0 | 1 | भेदवाक्यानि नानुवादकानि |
1052 | Q19749060 | 0 | 1 | मीमांसादर्शनस्य द्वैतोपयोगित्वम् |
1053 | Q19749145 | 0 | 1 | रजस्तमश्चाभिभूय... |
1054 | Q19749200 | 0 | 1 | राशिः |
1055 | Q19749366 | 0 | 1 | विविध कालेषु महिलानां स्थानमानः |
1056 | Q19749372 | 0 | 1 | वृद्धहारीतस्मृतौ प्रजानियमाः राष्ट्रशासनव्यवस्था च |
1057 | Q19749377 | 0 | 1 | वीथी (रूपकम्) |
1058 | Q19749436 | 0 | 1 | षडर्धविक्रमार्थस्य तत्त्वप्रदीपः |
1059 | Q19749446 | 0 | 1 | संहिता(ज्योतिषम्) |
1060 | Q19749458 | 0 | 1 | सन्त शिशुनाळ शरीफः |
1061 | Q19749462 | 0 | 1 | सन्तराम महाराज |
1062 | Q19749464 | 0 | 1 | समवकारः (रूपकम्) |
1063 | Q19749487 | 0 | 1 | Savitri, Kurukshetra |
1064 | Q19749554 | 0 | 1 | सिद्धान्तः |
1065 | Q19749577 | 0 | 1 | सूत्रभेदाः |
1066 | Q19749579 | 0 | 1 | सूत्रलक्षणम् |
1067 | Q19805313 | 0 | 1 | क्रिकेट्-शब्दावली |
1068 | Q25645306 | 0 | 1 | मन्दिरम् |
1069 | Q25645307 | 0 | 1 | जयदेवाचार्यः |
1070 | Q25645308 | 0 | 1 | भारतीयमासाः |
1071 | Q25645310 | 0 | 1 | Samskrtam.org |
1072 | Q25645311 | 0 | 1 | शुद्धिकौमुदी |
1073 | Q25645312 | 0 | 1 | अपना देश |
1074 | Q25645313 | 0 | 1 | प्रत्यभिज्ञादर्शनम् |
1075 | Q25645314 | 0 | 1 | कलय यशोदे तव बालम् |
1076 | Q31803288 | 0 | 1 | दन्तिलगोरम्भकथा |
1077 | Q31803289 | 0 | 1 | शाकल्यः |
1078 | Q31803310 | 0 | 1 | धानुष्कयज्वा |
1079 | Q31803312 | 0 | 1 | माधवः |
1080 | Q31803313 | 0 | 1 | रामनाथः |
1081 | Q31803334 | 0 | 1 | रामनाथः |
1082 | Q31803336 | 0 | 1 | भरतस्वामी |
1083 | Q31803337 | 0 | 1 | गुणविष्णुः |
1084 | Q31803338 | 0 | 1 | आनन्दबोधभट्टोपाध्यायः |
1085 | Q31803354 | 0 | 1 | गुहदेवः |
1086 | Q31803358 | 0 | 1 | हरिस्वामी |
1087 | Q31803359 | 0 | 1 | वेदानां व्याख्यापद्धतिः |
1088 | Q31803360 | 0 | 1 | षड्गुरुशिष्यः |
1089 | Q31803376 | 0 | 1 | मैत्रायणीसंहिता |
1090 | Q31803378 | 0 | 1 | कठसंहिता |
1091 | Q31803379 | 0 | 1 | कपिष्ठलकठसंहिता |
1092 | Q31803381 | 0 | 1 | शौनकसंहिता |
1093 | Q31803382 | 0 | 1 | त्रिविधसंहिता |
1094 | Q31803398 | 0 | 1 | विविधप्रयोगसंहिता |
1095 | Q31803399 | 0 | 1 | कौशिकगृह्यसूत्रम् |
1096 | Q61058778 | 0 | 1 | समर्थ गुरु रामदास |
1097 | Q61058782 | 0 | 1 | शिवाजीचरितम् |
1098 | Q61058784 | 0 | 1 | गोविन्दस्वामी |
1099 | Q61058806 | 0 | 1 | हरिदाससिद्धान्तवागीशः |
1100 | Q61058808 | 0 | 1 | विश्वनाथसत्यनारायणः |
1101 | Q61058809 | 0 | 1 | कालीपदः |
1102 | Q61058810 | 0 | 1 | लक्ष्मणसूरिः |
1103 | Q61058811 | 0 | 1 | क्षेमीश्वरः |
1104 | Q61058834 | 0 | 1 | पञ्चाननतर्कः |
1105 | Q61058835 | 0 | 1 | श्रीरामवेलणकरः |
1106 | Q61058836 | 0 | 1 | रामनाथमिश्रः |
1107 | Q61058861 | 0 | 1 | नित्यानन्दः |
1108 | Q61058862 | 0 | 1 | महाकविकालिदासम् |
1109 | Q61058863 | 0 | 1 | मथुराप्रसादः दीक्षितः |
1110 | Q61058867 | 0 | 1 | महालिङ्गः |
1111 | Q61058873 | 0 | 1 | जीवन्यायतीर्थः |
1112 | Q61058902 | 0 | 1 | सुन्दरार्यः |
1113 | Q61058904 | 0 | 1 | सिद्धेश्वरः चट्टोपाध्यायः |
1114 | Q61058906 | 0 | 1 | व्यासराजशास्त्री |
1115 | Q61058908 | 0 | 1 | वेङ्कटरामराघवः |
1116 | Q61058915 | 0 | 1 | वीरेन्द्रकुमारभट्टाचार्यः |
1117 | Q61058946 | 0 | 1 | विष्णुपदभट्टाचार्यः |
1118 | Q61058950 | 0 | 1 | विद्याभूषणः |
1119 | Q61058951 | 0 | 1 | कालिदासमहोत्साहः |
1120 | Q61058953 | 0 | 1 | अभियनाथः |
1121 | Q61058962 | 0 | 1 | यतीन्द्रः |
1122 | Q61059003 | 0 | 1 | कविकुलकोकिलम् |
1123 | Q61059008 | 0 | 1 | विश्वनाथकेशवः |
1124 | Q61059009 | 0 | 1 | कालीदासीयोपरूपकाणां समुच्चयः |
1125 | Q61059012 | 0 | 1 | यज्ञेश्वरदीक्षितः |
1126 | Q61059017 | 0 | 1 | रामचन्द्रः |
1127 | Q61059050 | 0 | 1 | मायुराजः |
1128 | Q61059054 | 0 | 1 | रमा चौधुरी |
1129 | Q61059056 | 0 | 1 | हस्तिमल्लः |
1130 | Q61059057 | 0 | 1 | कुलशेखरवर्मा |
1131 | Q61059060 | 0 | 1 | जयापीडः |
1132 | Q61059092 | 0 | 1 | वत्सराजः |
1133 | Q61059098 | 0 | 1 | मेधाविरुद्रः |
1134 | Q61059099 | 0 | 1 | रत्नाकरः |
1135 | Q65419882 | 0 | 1 | रक्तदानम् |
1136 | Q65419885 | 0 | 1 | रूपकसाहित्यम् |
1137 | Q65419887 | 0 | 1 | रोनाल्ड् फ़िशर् |
1138 | Q65419889 | 0 | 1 | विंशतिशतकस्य नाटकानि |
1139 | Q65419894 | 0 | 1 | वीणावासवदत्तम् |
1140 | Q65419896 | 0 | 1 | वैय्याकरणाः |
1141 | Q65419898 | 0 | 1 | व्याडिः |
1142 | Q65419903 | 0 | 1 | संस्कृतकवयः |
1143 | Q65419907 | 0 | 1 | संस्कृतसम्भाषणशिबिरम् |
1144 | Q65419915 | 0 | 1 | सांगली |
1145 | Q65419929 | 0 | 1 | स्वरसन्धिः |
1146 | Q65419932 | 0 | 1 | हम्मीरमर्दनम् |
1147 | Q65419935 | 0 | 1 | अनार्कली |
1148 | Q65419939 | 0 | 1 | अनिता मजूमदार |
1149 | Q65419942 | 0 | 1 | अनुसन्धानस्य प्रकाराः |
1150 | Q65419945 | 0 | 1 | अपधमनिः |
1151 | Q65419948 | 0 | 1 | अमरमङ्गमलम् |
1152 | Q65419952 | 0 | 1 | अलङ्कारराघवम् |
1153 | Q65419956 | 0 | 1 | आगमडम्बरम् |
1154 | Q65419962 | 0 | 1 | इछामति नदी |
1155 | Q65419965 | 0 | 1 | उमापरिणयम् |
1156 | Q65419971 | 0 | 1 | कर्णसुन्दरी |
1157 | Q65419974 | 0 | 1 | कलकाता विश्वविद्यालयस्य इतिहासः |
1158 | Q65419977 | 0 | 1 | काञ्चनकुञ्चिकम् |
1159 | Q65419982 | 0 | 1 | कालप्रयोजनम् |
1160 | Q65419986 | 0 | 1 | चण्डकौशिकम् |
1161 | Q65419995 | 0 | 1 | चेन्नई अन्ताराष्ट्रियविमानस्थलम् |
1162 | Q65419998 | 0 | 1 | छन्दोमञ्जरी |
1163 | Q65420006 | 0 | 1 | ताराशङ्करवन्द्योपाध्यायः |
1164 | Q65420010 | 0 | 1 | दूरमानम् |
1165 | Q65420014 | 0 | 1 | देशदीपम् |
1166 | Q65420015 | 0 | 1 | धनञ्जयपुरञ्जयम् |
1167 | Q65420024 | 0 | 1 | नलदमयन्तीयम् |
1168 | Q65420027 | 0 | 1 | नारीवाद: |
1169 | Q65420030 | 0 | 1 | पल्लीकमलम् |
1170 | Q65420032 | 0 | 1 | पार्थपाथेयम् |
1171 | Q65420037 | 0 | 1 | पुनर्भवा नदी |
1172 | Q65420040 | 0 | 1 | प्रतापरुद्रविजयम् |
1173 | Q65420043 | 0 | 1 | प्रतापविजयम् |
1174 | Q65420046 | 0 | 1 | प्रतिज्ञाकौटिल्यम् |
1175 | Q65420053 | 0 | 1 | प्रशान्तरत्नाकरम् |
1176 | Q65420060 | 0 | 1 | बासमती तण्डुलम् |
1177 | Q65420063 | 0 | 1 | बिभूतिभूषण वन्द्योपाध्यायः |
1178 | Q65420067 | 0 | 1 | बोडोभाषा |
1179 | Q65420069 | 0 | 1 | भगवदज्जुकीयम् |
1180 | Q65420077 | 0 | 1 | भारतसर्वकारीयभाषाः |
1181 | Q65420079 | 0 | 1 | भारतीय-प्रबन्धनसंस्था कोलकाता |
1182 | Q65420082 | 0 | 1 | भ्रान्तभारतम् |
1183 | Q65420090 | 0 | 1 | मणिकाञ्चनसमन्वयः |
1184 | Q65420096 | 0 | 1 | माणवकगौरवम् |
1185 | Q65420100 | 0 | 1 | मिवारप्रतापम् |
1186 | Q65420104 | 0 | 1 | मैथिलीलोकगीतस्य संस्कृतानुवादः |
1187 | Q65420107 | 0 | 1 | रतिविजयम् |
1188 | Q65420110 | 0 | 1 | रामचन्द्रः |
1189 | Q65420114 | 0 | 1 | वक्सा-राष्ट्रीयोद्यानम् |
1190 | Q65420117 | 0 | 1 | वङ्गीयप्रतापम् |
1191 | Q65420120 | 0 | 1 | वायुदूषणम् |
1192 | Q65420123 | 0 | 1 | विबुधानन्दम् |
1193 | Q65420126 | 0 | 1 | विमुक्तिः |
1194 | Q65420132 | 0 | 1 | विश्वनाथः |
1195 | Q65420135 | 0 | 1 | विष्णु दे |
1196 | Q65420138 | 0 | 1 | वीणावाद्यम् |
1197 | Q65420142 | 0 | 1 | वीरधर्मदर्पणम् |
1198 | Q65420145 | 0 | 1 | शङ्करशङ्करम् |
1199 | Q65420148 | 0 | 1 | शान्तिस्वरूपः भटनागरः |
1200 | Q65420152 | 0 | 1 | शिमलाविश्वविद्यालयस्यइतिहासः |
1201 | Q65420154 | 0 | 1 | श्री कृष्णदेवरायविश्वविद्यालयः |
1202 | Q65420157 | 0 | 1 | श्लेषालङ्कारः |
1203 | Q65420160 | 0 | 1 | संयोगितास्वयंवरम् |
1204 | Q65420164 | 0 | 1 | संस्कृतविश्वविद्यालयस्य परिचयः |
1205 | Q65420167 | 0 | 1 | सावरी नदी |
1206 | Q65420170 | 0 | 1 | सावेरि |
1207 | Q65420173 | 0 | 1 | सि नारायणरेड्डि |
1208 | Q65420177 | 0 | 1 | स्फटीयन् |
1209 | Q65420180 | 0 | 1 | स्यमन्तकोद्धारम् |
1210 | Q65420183 | 0 | 1 | हरिश्चन्द्रचरितम् |
1211 | Q65420186 | 0 | 1 | हास्यचूडामणिः |
1212 | Q65420190 | 0 | 1 | हिन्दूपञ्चाङ्गम् |
1213 | Q65420193 | 0 | 1 | आपस्तम्बशुल्वसूत्रम् |
1214 | Q65420196 | 0 | 1 | आर्षेयकल्पसूत्रम् |
1215 | Q65420199 | 0 | 1 | आर्षेयब्राह्मणम् |
1216 | Q65420203 | 0 | 1 | उपनिषद्ब्राह्मणम् |
1217 | Q65420209 | 0 | 1 | कात्यायनशुल्वसूत्रम् |
1218 | Q65420219 | 0 | 1 | जैमिनीयब्राह्मणम् |
1219 | Q65420222 | 0 | 1 | देवताध्यायब्राह्मणम् |
1220 | Q65420225 | 0 | 1 | धर्मसूत्रम् |
1221 | Q65420228 | 0 | 1 | पारस्करगृह्यसूत्रम् |
1222 | Q65420232 | 0 | 1 | पृथुमृद्विका, सिंहश्च |
1223 | Q65420235 | 0 | 1 | भारद्वाजश्रौतसूत्रम् |
1224 | Q65420238 | 0 | 1 | वंशब्राह्मणम् |
1225 | Q65420245 | 0 | 1 | शाङ्ख्यायनब्राह्मणम् |
1226 | Q65420248 | 0 | 1 | शाङ्ख्यायनारण्यकम् |
1227 | Q65420251 | 0 | 1 | श्रौतसूत्रम् |
1228 | Q65420258 | 0 | 1 | संहितोपनिषद्ब्राह्मणम् |
1229 | Q65420261 | 0 | 1 | सामविधानब्राह्मणम् |
1230 | Q65420264 | 0 | 1 | भीमसेनः |
1231 | Q65420268 | 0 | 1 | माधवः |
1232 | Q65420271 | 0 | 1 | मत्स्यः |
1233 | Q65420274 | 0 | 1 | कर्कटी |
1234 | Q65420277 | 0 | 1 | अशोकचक्रम् |
∑ 1234 items.